वर्ष 2013 में पटना में हुए बम विस्फोटों के बाद बनाए गए बिहार एटीएस के पहले बैच को गांधीनगर आधारित गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षण मिलेगा।
यूनिवर्सिटी के महानिदेशक जेएम व्यास ने कहा, ‘‘बिहार का नवगठित आतंकवाद रोधी दस्ता गांधीनगर आधारित गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिविर्सटी (जीएफएसयू) के विशेषज्ञों से विस्फोटकों से संबंधित और विस्फोटों के बाद की जांच का प्रशिक्षण हासिल करेगा।’’
गुजरात सरकार द्वारा स्थापित जीएफएसयू विश्व का ऐसा एकमात्र विश्वविद्यालय है जो न्यायिक एवं जांच विज्ञान को समर्पित है।
व्यास के अनुसार महानिरीक्षक, एक उपमहानिरीक्षक, एक पुलिस अधीक्षक और एक पुलिस उपाधीक्षक सहित बिहार एटीएस के छह अधिकारी इस बैच का हिस्सा होंगे जो 23 से 27 मार्च के बीच प्रशिक्षण हासिल करेगा।
उन्होंने बताया कि बिहार पुलिस से एटीएस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का आग्रह दो महीने पहले आया था जिसे जीएफएसयू ने स्वीकार कर लिया।
जीएफएसयू के निदेशक एमएस दहिया ने कहा कि अधिकारियों को विस्फोटकों के बारे में सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक दोनों तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
दहिया कई बम विस्फोट मामलों में विभिन्न एजेंसियों को अपनी विशेषज्ञता उपलब्ध करा चुके हैं और उन्होंने 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की जांच में भी मदद की थी। उन्होंने कहा, ‘‘हम विस्फोटकों के बारे में एटीएस अधिकारियों को प्रशिक्षण देंगे जो विस्फोट के बाद स्थल का विश्लेषण करने और अपराध की अधिक प्रभावी ढंग से जांच करने में उनकी मदद करेगा।’’
दहिया ने बताया कि अधिकारियों को आरडीएक्स और अमोनियम नाइट्रेट जैसे विभिन्न प्रकार के विस्फोटकों और विस्फोट करने में इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली के बारे में जानकारी दी जाएगी। जीएफएसयू पूर्व में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दे चुका है।
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