भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विरासत में मिली सियासत, अब राजनीतिक भविष्य का फैसला

नौ साल तक हरियाणा की सत्ता संभाल चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता भारत की संविधान सभा के सदस्य और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे

भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विरासत में मिली सियासत, अब राजनीतिक भविष्य का फैसला

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा.

खास बातें

  • भूपेंद्र सिंह हुड्डा चार बार लोकसभा चुनाव जीते
  • हुड्डा दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे
  • सन 1972 में शुरू किया था राजनीतिक सफर
नई दिल्ली:

भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) हरियाणा में कांग्रेस के प्रभावशाली नेता हैं. हुड्डा मार्च 2005 से अक्टूबर 2014 तक नौ साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने सन 2005 के बाद अक्टूबर 2009 में कांग्रेस ने दोबारा जीत हासिल की थी. तब हुड्डा की दूसरी पारी की शुरुआत हुई थी. हरियाणा के इतिहास में सन 1972 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था. सन 2014 के हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पराजित हो गई और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 19 अक्टूबर 2014 को इस्तीफा देना पड़ा.

हरियाणा में नौ साल से अधिक समय तक सत्ता पर काबिज रहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) की विधानसभा चुनाव में साख दांव पर लगी हुई है. वह 2014 में राज्य में सरकार बनाने में विफल रहे. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत और बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से दोनों चुनाव हार गए. ऐसे यह चुनाव उनका राजनीतिक भविष्य तय करने वाला साबित होगा, क्योंकि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं.

एलएलबी शिक्षित हरियाणा के नौंवे मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जन्म 15 सितंबर 1947 को रोहतक जिले के सांघी गांव में हुआ हुआ. वे साल 1972 से 1977 तक रोहतक जिले के गांव किलोई के ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे. वे सन 1980 से 1987 तक हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, रोहतक पंचायत समिति के अध्यक्ष और हरियाणा के पंचायत परिषद के अध्यक्ष रहे. हुड्डा सन 1991, 1996, 1998 और सन 2004 में लगातार चार बार लोकसभा चुनाव जीते. वे साल 1996 से 2001 तक हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. हुड्डा पांच मार्च 2005 को पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 25 अक्टूबर 2009 को वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों बार हरियाणा की सांपला विधानसभा सीट से चुनाव जीते. हुड्डा सन 2002 से 2004 तक हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के पिता रणवीर सिंह हुड्डा भारत की संविधान सभा के सदस्य थे. वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे. आजादी मिलने के बाद रणवीर सिंह हुड्डा पंजाब सरकार में मंत्री बनाए गए थे. भूपेंद्र सिंह के पुत्र दीपेंद्र हुड्डा भी सांसद रह चुके हैं. उन्हें राहुल गांधी का नजदीकी माना जाता है. अपने प्रशसंकों के बीच 'भूमि पुत्र' कहे जाने वाले 72 वर्ष के भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार में उनकी पत्नी आशा हुड्डा, पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा तथा एक पुत्री है. हुड्डा ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और फिर  दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. उन्होंने 15 अक्टूबर 1976 को आशा दहिया से शादी की.

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) एक बार फिर रोहतक जिले की गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा सीट से चुनाव लड़े हैं. उनके खिलाफ बीजेपी के सतीश नांदल खड़े थे. इनेलो ने कृष्ण कौशिक को इस सीट पर उतारा है. इसके अलावा जजपा से डॉ संदीप हुड्डा और आम आदमी पार्टी से मनीपाल अत्री ने चुनाव लड़ा है. हुड्डा विरासत में मिली राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं. उनकी हरियाणा में वर्चस्व रखने वाली जाट बिरादरी में मजबूत पकड़ है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में पार्टी 2014 का विधानसभा और 2019 का लोकसभा चुनाव हार चुकी है. ऐसे में मौजूदा विधानसभा चुनाव के परिणाम काफी हद तक हुड्डा का राजनीतिक भविष्य तय करने वाले हैं.

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