केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार की सातवें दौर की बैठक बेनतीजा रही. सोमवार की बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने के बाद अब किसान आंदोलन (Farmers Protest) को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं. किसानों ने 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में टैक्टर रैली निकालने की धमकी दी है. हरियाणा के जींद से तस्वीरें आ रही हैं जिसमें 26 जनवरी को विशाल "किसान परेड" के नेतृत्व से कुछ सफ्ताह पहले महिलाओं को ट्रैक्टर चलाते हुए देखा जा सकता है.
प्रदर्शकारी किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (BKU) मार्च की अगुवाई करने के लिए इन महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहा है. किसान संगठन द्वारा 500 से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है. कल, वे हरियाणा में कुंडली-मानेसर-पलवल पर रैली निकालेंगे.
हरियाणा के जींद में महिलाओं को ट्रैक्टर चलाते हुए और अन्य किसानों को उनके पीछे नारे लगाते हुए देखा जा सकता है. एक किसान नेता ने महिलाओं के ट्रैक्टर चलाने पर कहा, "यह तो सिर्फ एक ट्रेलर है. कल कुंडली-मानेसर-पलवल राजमार्ग पर पूरी फिल्म देखी जा सकती है."
भीषण सर्दी, बारिश और जलभराव की स्थिति में भी किसान विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की अपनी मांग को लेकर दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी. किसान संगठनों के प्रतिनिधि इन कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार कानूनों की ‘‘खामियों'' वाले बिन्दुओं या उनके अन्य विकल्पों पर चर्चा करना चाह रही थी। दोनों के बीच अब अगली बातचीत आठ जनवरी को होगी.
बैठक के बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पत्रकारों से बात करते हुए अगली बैठक में सकारात्मक वार्ता होने और समाधान निकलने की उम्मीद जतायी, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘समाधान पर पहुंचने के लिए दोनों पक्षों की ओर से प्रयास किए जाने चाहिए.''
भीषण सर्दी के मौसम में विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर पिछले करीब 40 दिन से डटे हैं. इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं. शहर में पिछले कुछ दिनों से बारिश हो रही है, जिसके बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) ने शहर के सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को बारिश से बचाने के लिये तंबुओं में अस्थायी ऊंचे बिस्तर उपलब्ध कराए हैं. तंबुओं के मुख्य मंच के ठीक पीछे और राजमार्ग के ढलान वाले हिस्से पर होने के कारण, वहां बारिश में जलभराव का खतरा बना रहता है.
(भाषा के इनपुट के साथ)
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