यह ख़बर 20 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

भारत बंद : यूपी में जनजीवन पर व्यापक असर

खास बातें

  • वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और मेरठ में गुरुवार सुबह ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर चक्का जाम कर दिया। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर ट्रेनें रोक दीं।
लखनऊ:

केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों, डीजल की कीमतों में वृद्घि, रसोई गैस की राशनिंग और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को सूबे के कई शहरों में प्रदर्शन किया।

दोनों पार्टियों के बंद में शामिल होने की वजह से उत्तर प्रदेश में इस भारत बंद का व्यापक असर देखा जा रहा है। प्रदर्शन की वजह से रेल और बस सेवाओं पर खासा असर पड़ा है। बड़े शहरों में ऑटो, टैक्सी चालकों और व्यापारी संगठनों के बंद में शामिल होने की वजह से जनजवीन प्रभावित हुआ है।

बीजेपी कार्यकर्ता सुबह से ही अलग-अलग हिस्से में सड़कों पर उतरकर केंद्र सरकार के इन फैसलों पर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। बीजेपी के कई नेता अलग-अलग स्थानों पर बंद का नेतृत्व कर रहे हैं। वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और मेरठ में गुरुवार सुबह ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर चक्का जाम कर दिया।

इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर रेलगाड़ियों को रोककर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनियां गांधी का पुतला भी फूंका। वहीं बंद में शामिल सपा कार्यकर्ताओं ने सूबे के कई शहरों में सड़कों पर जाम लगाकर और रेलगाड़ियां रोककर अपना विरोध दर्ज कराया।

सपा के कार्यकर्ताओं ने कानपुर, इटावा, एटा, मैनपुरी, वाराणसी और इलाहाबाद में बाजारों को बंद कराने का प्रयास किया, जिससे कुछ जगहों पर दुकानदारों के साथ नोक-झोक की भी खबरें आई हैं। वाराणसी में सपा कार्यकर्ताओं ने विरोध स्वरूप गैस सिलेंडर को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया। बलिया में सपा और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उत्सर्ग एक्सप्रेस को कई घंटे तक रोके रखा।

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सपा की ओर से जहां कोई बड़ा नेता बंद के लिए अभी सड़क पर नहीं उतरा है, वहीं बीजेपी की ओर से पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लखनऊ में कार्यकर्ताओं की अगुवाई की। उनके साथ सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि बीजेपी और सपा के अलावा कई व्यापारी संगठन भी बंद को समर्थन दे रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने आपको इस बंद से अलग रखा है। उसने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अगले माह 9 अक्टूबर को महासंकल्प रैली का ऐलान किया है।