पुत्तिंगल मंदिर में हादसे के बाद का मंज़र
रविवार की सुबह केरल के पुत्तिंगल मंदिर में हुए हादसे में अभी तक 110 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मंदिर में उत्सव के दौरान पटाखों में आग लगने की वजह से यह हादसा हुआ है। त्यौहार के मौके पर छोटी सी लापरवाही से होने वाले बड़े हादसे की यह पहली खबर नहीं है। अगर सिर्फ साल 2000 के बाद की ही बात करें तो ऐसी कई दुर्घटनाएं याद आती हैं जिसमें लापरवाही, अफवाहों और डर की वजह से एक छोटी सी घटना ने दर्दनाक हादसे का रूप ले लिया।
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पढ़ें कैसे हुआ पुत्तिंगल हादसा
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याद कीजिए 2013 में मध्यप्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में पुल गिरने से हुआ हादसा जिसमें 110 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
यह घटना 2013 के नवरात्री के दिनों की है जब रविवार 13 अक्टूबर को नवमीं के दिन हर बार की तरह रतनगढ़ मंदिर में हज़ारों श्रद्धालु आते हैं। उस दिन भी आधा किलोमीटर लंबे पुल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे जब अचानक पुल के टूटने की खबर सुनकर लोगों में भगदड़ मच गई जिसमें कई जानें गई।
इलाहाबाद का कुंभ मेला
साल 2013 में ही इलाहाबाद में लगे विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेले को याद कीजिए जहां रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में करीब 30 लोग मारे गए थे। यह हादसा इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म नंबर छह पर उस वक़्त हुआ जब हज़ारों की संख्या में कुंभ में अमावस्या के मौक़े पर स्नान करके लौट रहे श्रद्धालु स्टेशन पर जमा थे। इस हादसे के बाद उत्तरप्रदेश के नगर विकास मंत्री आज़म खान ने कुंभ मेले के प्रभारी पद से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। बताया जाता है कि स्टेशन के फुटओवर ब्रिज की रेलिंग टूटने से ये हादसा हुआ था, वहीं कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस और रेल प्रशासन के बीच तालमेल की कमी को जिम्मेदार ठहराया था।
सबरीमाला मंदिर का पहाड़ी इलाका
2011 में केरल के सबरीमाला मंदिर में भी भगदड़ से 102 तीर्थयात्री मारे गए थे। यह मंदिर घने जंगलों के बीच पहाड़ी इलाके में स्थित है और मकरसंक्रम पूजा के दिन यहां करीब एक लाख लोग मौजूद थे। उसी वक्त श्रद्धालुओं से भरी एक जीप ने अपना नियंत्रण खो दिया और वह भीड़ में घुस आई जिसके बाद जैसा की ऐसे मौकों पर धार्मिक स्थलों में होता आया है लोगों के बीच अफरा तफरी हो गयी और 100 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
30 सितंबर 2008 को नवरात्र के पहले दिन जोधपुर के चामुंडा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी जब अचानक दीवार गिरने के कारण भगदड़ मच गई और देखते ही देखते करीब 200 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे। बताया जाता है कि 400 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में आने-जाने का रास्ता काफ़ी तंग है और नवरात्र के मौके पर भीड़ के ज्यादा होने से स्थिति को काबू में नहीं किया जा सका और यह हादसा हो गया।
नैनादेवी मंदिर में अफरा तफरी
अगस्त 2008 में श्रवण नवरात्र के मौके पर हिमाचलप्रदेश के बिलासपुर जिले में बने नैनादेवी मंदिर में भगदड़ की वजह से कम से कम 140 लोग मारे गए थे। बताया जाता है कि खराब मौसम की वजह से मंदिर के रास्ते में बनी बरसाती के ढह जाने से अफ़रा-तफ़री मच गई थी। नैना देवी मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और सड़क से ऊपर जाने के लिए लोगों को पैदल चढ़ना पड़ता है। इसी बीच लैंड स्लाइड की खबर से यह हादसा हुआ जिसमें कई लोग घायल हुए और करीब 140 की मौत हो गई।
महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित मंधरदेवी कालूबाई मंदिर में जनवरी 2005 में पूर्णिमा के दिन मची भगदड़ में करीब 300 से ज्यादा तीर्थयात्री मारे गए थे। हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट को बताया गया जिसकी वजह से मंदिर के आसपास की दुकानों में आग की लपटें पहुंच गई और दुकानों में रखे गैस सिलेंडरों ने भी आग पकड़ ली जिससे विस्फोट हो गया। वार्षिक पूजा के लिए आए करीब तीन लाख श्रद्धालुओं में से 300 से ज्यादा लोग मौत की भेंट चढ़ गए।
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पढ़ें कैसे हुआ पुत्तिंगल हादसा
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याद कीजिए 2013 में मध्यप्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में पुल गिरने से हुआ हादसा जिसमें 110 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
दतिया के रतनगढ़ मंदिर में पुल टूटने से हुआ था हादसा
यह घटना 2013 के नवरात्री के दिनों की है जब रविवार 13 अक्टूबर को नवमीं के दिन हर बार की तरह रतनगढ़ मंदिर में हज़ारों श्रद्धालु आते हैं। उस दिन भी आधा किलोमीटर लंबे पुल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे जब अचानक पुल के टूटने की खबर सुनकर लोगों में भगदड़ मच गई जिसमें कई जानें गई।
इलाहाबाद का कुंभ मेला
साल 2013 में ही इलाहाबाद में लगे विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेले को याद कीजिए जहां रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में करीब 30 लोग मारे गए थे। यह हादसा इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म नंबर छह पर उस वक़्त हुआ जब हज़ारों की संख्या में कुंभ में अमावस्या के मौक़े पर स्नान करके लौट रहे श्रद्धालु स्टेशन पर जमा थे। इस हादसे के बाद उत्तरप्रदेश के नगर विकास मंत्री आज़म खान ने कुंभ मेले के प्रभारी पद से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। बताया जाता है कि स्टेशन के फुटओवर ब्रिज की रेलिंग टूटने से ये हादसा हुआ था, वहीं कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस और रेल प्रशासन के बीच तालमेल की कमी को जिम्मेदार ठहराया था।
सबरीमाला मंदिर का पहाड़ी इलाका
2011 में केरल के सबरीमाला मंदिर में भी भगदड़ से 102 तीर्थयात्री मारे गए थे। यह मंदिर घने जंगलों के बीच पहाड़ी इलाके में स्थित है और मकरसंक्रम पूजा के दिन यहां करीब एक लाख लोग मौजूद थे। उसी वक्त श्रद्धालुओं से भरी एक जीप ने अपना नियंत्रण खो दिया और वह भीड़ में घुस आई जिसके बाद जैसा की ऐसे मौकों पर धार्मिक स्थलों में होता आया है लोगों के बीच अफरा तफरी हो गयी और 100 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
सबरीमाला मंदिर पहाड़ी इलाके में स्थित है
30 सितंबर 2008 को नवरात्र के पहले दिन जोधपुर के चामुंडा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी जब अचानक दीवार गिरने के कारण भगदड़ मच गई और देखते ही देखते करीब 200 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे। बताया जाता है कि 400 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में आने-जाने का रास्ता काफ़ी तंग है और नवरात्र के मौके पर भीड़ के ज्यादा होने से स्थिति को काबू में नहीं किया जा सका और यह हादसा हो गया।
नैनादेवी मंदिर में अफरा तफरी
अगस्त 2008 में श्रवण नवरात्र के मौके पर हिमाचलप्रदेश के बिलासपुर जिले में बने नैनादेवी मंदिर में भगदड़ की वजह से कम से कम 140 लोग मारे गए थे। बताया जाता है कि खराब मौसम की वजह से मंदिर के रास्ते में बनी बरसाती के ढह जाने से अफ़रा-तफ़री मच गई थी। नैना देवी मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और सड़क से ऊपर जाने के लिए लोगों को पैदल चढ़ना पड़ता है। इसी बीच लैंड स्लाइड की खबर से यह हादसा हुआ जिसमें कई लोग घायल हुए और करीब 140 की मौत हो गई।
महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित मंधरदेवी कालूबाई मंदिर में जनवरी 2005 में पूर्णिमा के दिन मची भगदड़ में करीब 300 से ज्यादा तीर्थयात्री मारे गए थे। हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट को बताया गया जिसकी वजह से मंदिर के आसपास की दुकानों में आग की लपटें पहुंच गई और दुकानों में रखे गैस सिलेंडरों ने भी आग पकड़ ली जिससे विस्फोट हो गया। वार्षिक पूजा के लिए आए करीब तीन लाख श्रद्धालुओं में से 300 से ज्यादा लोग मौत की भेंट चढ़ गए।
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