नई दिल्ली:
बहुचर्चित लोकपाल विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने यह जानकारी दी। बंसल ने बताया कि चूंकि सभी दल इस विधेयक को जल्द से जल्द सदन में पेश करने के लिए सहमत है इसलिए कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से अनुरोध किया है कि नए विधेयक की प्रति को राजनीतिक दलों में वितरित करने के लिए अनिवार्य दो दिन की अवधि को माफ किया जाए ताकि इसे गुरुवार को सदन में पेश किया जा सके। लोकपाल विधेयक के मसौदा को कैबिनेट ने पिछले हफ्ते अपनी मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री के पद को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। हालांकि प्रधानमंत्री के पद से हटने के बाद वह इसके दायरे में होंगे। लोकपाल विधेयक 2011 के मसौदे के तहत प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका और संसद के भीतर सांसदों के आचरण को प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधी निकाय के दायरे से बाहर रखा गया है। इन तीनों ही मुद्दों पर सरकार के गांधीवादी अन्ना हज़ारे पक्ष से तीखे मतभेद हैं। हालांकि, इसके अलावा हज़ारे पक्ष की ओर से सुझाए गए 40 बिंदुओं में से 34 को सरकार ने इस मसौदे में शामिल करने का दावा किया है। मसौदे के मुताबिक, लोकपाल में एक अध्यक्ष और आठ अन्य सदस्य होंगे। इनमें से आधे सदस्य न्यायपालिका से होंगे। लोकपाल की अपनी जांच इकाई और अभियोजन इकाई होगी। बहरहाल, लोकपाल को अभियोजन चलाने के अधिकार नहीं होंगे। अभियोजन चलाने का अधिकार न्यायपालिका के पास ही रहेगा।
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