बेंगलुरु में अदालत के आदेश की अवमानना करते हुए तोड़े गए निर्माण का फाइल फोटो।
बेंगलुरु:
एक आईएएस अधिकारी के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता कि अदालत के आदेश पर उसकी सरकारी गाड़ी, कंप्यूटर और अन्य उपकरण की जब्ती हो जाए। कुछ ऐसा ही हुआ बेंगलुरु के डिप्टी कमिश्नर वी शंकर के साथ। शहर की एक निचली अदालत के आदेश पर उनकी एक सरकारी गाड़ी और ज़ेरॉक्स मशीन जब्त किए गए ताकि 18 लाख रुपये का मुआवज़ा वसूला जा सके।
प्रशासन ने तोड़ दिया था वैध निर्माण
बेंगलुरु के उत्तरहल्ली में रहने वाले बी नागराज को 1987 में जिला प्रशासन ने उनकी जमीन पर बने निर्माण को हटाने का आदेश दिया था। इसे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बताया गया। मामला अदालत में पहुंचा, जहां 1992 में इस विवादित जमीन का मालिकाना हक नागराज को अदालत ने दे दिया, लेकिन इसके बावजूद सरकार की दखलअंदाज़ी जारी रही। सन 1996 में अदालत ने जिला प्रशासन को फटकार लगते हुए जमीन से दूर रहने का आदेश दिया। लेकिन इसका भी असर अधिकारियों पर नहीं पड़ा। आखिर में लैंड ट्रिब्यूनल से सर्टिफिकेट भी नागराज के पक्ष में आया। इसके बावजूद पिछले साल डिप्टी कमिश्नर वी शंकर अपने दलबल के साथ नागराज की जमीन पर पहुंचे और वहां का निर्माण गिरा दिया।
अफसर ने की अदालत की अवमानना
नागराज के वकील आर एस रवि ने इस कार्रवाई के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस दायर कराया। अदालत ने इसे सही ठहराते हुए 18 लाख रुपये की भरपाई के लिए डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर के कंप्यूटर गाड़ी और अन्य उपकरणों को नीलाम करने का आदेश दिया।
जब्त वस्तुओं की होगी नीलामी
आर एस रवि के मुताबिक कंप्यूटर्स को फिलहाल छोड़ दिया गया है, क्योंकि इससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन डिप्टी कमिश्नर की एक कार और ज़ेरॉक्स मशीन नीलामी के लिए जब्त की गई है।अगर इसकी नीलामी से 18 लाख से कम रुपये मिलते हैं तो अन्य वस्तुओं की नीलामी की जाएगी। साथ ही साथ नागराज जॉब डिप्टी कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए अलग से मुकदमा करने जा रहे हैं।
प्रशासन ने तोड़ दिया था वैध निर्माण
बेंगलुरु के उत्तरहल्ली में रहने वाले बी नागराज को 1987 में जिला प्रशासन ने उनकी जमीन पर बने निर्माण को हटाने का आदेश दिया था। इसे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बताया गया। मामला अदालत में पहुंचा, जहां 1992 में इस विवादित जमीन का मालिकाना हक नागराज को अदालत ने दे दिया, लेकिन इसके बावजूद सरकार की दखलअंदाज़ी जारी रही। सन 1996 में अदालत ने जिला प्रशासन को फटकार लगते हुए जमीन से दूर रहने का आदेश दिया। लेकिन इसका भी असर अधिकारियों पर नहीं पड़ा। आखिर में लैंड ट्रिब्यूनल से सर्टिफिकेट भी नागराज के पक्ष में आया। इसके बावजूद पिछले साल डिप्टी कमिश्नर वी शंकर अपने दलबल के साथ नागराज की जमीन पर पहुंचे और वहां का निर्माण गिरा दिया।
अफसर ने की अदालत की अवमानना
नागराज के वकील आर एस रवि ने इस कार्रवाई के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस दायर कराया। अदालत ने इसे सही ठहराते हुए 18 लाख रुपये की भरपाई के लिए डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर के कंप्यूटर गाड़ी और अन्य उपकरणों को नीलाम करने का आदेश दिया।
जब्त वस्तुओं की होगी नीलामी
आर एस रवि के मुताबिक कंप्यूटर्स को फिलहाल छोड़ दिया गया है, क्योंकि इससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन डिप्टी कमिश्नर की एक कार और ज़ेरॉक्स मशीन नीलामी के लिए जब्त की गई है।अगर इसकी नीलामी से 18 लाख से कम रुपये मिलते हैं तो अन्य वस्तुओं की नीलामी की जाएगी। साथ ही साथ नागराज जॉब डिप्टी कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए अलग से मुकदमा करने जा रहे हैं।
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