बैंगलोर में संथारा के समर्थन में प्रदर्शन करते जैन समाज के लोग
बेंगलुरू:
राजस्थान हाई कोर्ट ने इसी माह संथारा पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे जैन समाज खासा नाराज है। देश के दूसरे हिस्सों से उठ रही इसके खिलाफ आवाज के साथ गुरुवार को बेंगलुरु और चेन्नई में भी जैन समुदाय ने मौन जुलूस निकाला।
संथारा जैन समुदाय में सदियों से चली आ रही एक परम्परा है। इसके तहत बेहद बीमार या बुज़ुर्ग अन्न और जल का पूरी तरह त्याग कर देता है जिससे उसकी मौत हो जाती है।
बेंगलुरु के जाने माने समाजसेवी और जैन संगठन के नेता सज्जन राज मेहता ने बताया कि संथारा को आत्महत्या का नाम देकर कुप्रचार किया जा रहा है। यह विधि संतों की अनुमति और उपस्थिति में कराई जाती है जिसे धर्म की मान्यता हासिल है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने 10 अगस्त को संथारा पर प्रतिबन्ध लगाते हुए आई पी सी की धारा 306 और 309 यानी आत्महत्या के लिए उकसाने का जुर्म करार दिया। धारा 306 यानी आत्महत्या के लिए उकसाना या बाध्य करने पर अधिकतम सजा 10 साल की कैद है, जबकि धारा 309 यानी आत्महत्या के प्रयास की अधिकतम सजा एक साल है।
संथारा जैन समुदाय में सदियों से चली आ रही एक परम्परा है। इसके तहत बेहद बीमार या बुज़ुर्ग अन्न और जल का पूरी तरह त्याग कर देता है जिससे उसकी मौत हो जाती है।
राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में एक गैर सरकारी आंकड़े के मुताबिक दो सौ से ढाई सौ लोग हर साल संथारा लेते हैं। कुछ लोगों ने इस पर ऐतराज किया की कई लोगों को जबरन संथारा के लिए मजबूर किया गया। हालांकि जैन समुदाय और इससे जुड़े संतों ने इसका हमेशा खंडन किया।
बेंगलुरु के जाने माने समाजसेवी और जैन संगठन के नेता सज्जन राज मेहता ने बताया कि संथारा को आत्महत्या का नाम देकर कुप्रचार किया जा रहा है। यह विधि संतों की अनुमति और उपस्थिति में कराई जाती है जिसे धर्म की मान्यता हासिल है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने 10 अगस्त को संथारा पर प्रतिबन्ध लगाते हुए आई पी सी की धारा 306 और 309 यानी आत्महत्या के लिए उकसाने का जुर्म करार दिया। धारा 306 यानी आत्महत्या के लिए उकसाना या बाध्य करने पर अधिकतम सजा 10 साल की कैद है, जबकि धारा 309 यानी आत्महत्या के प्रयास की अधिकतम सजा एक साल है।
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