बलूच नेता पाकिस्तान का विरोध करते हुए (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बलूचिस्तान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का समर्थन करने के आरोप में बलोच नेताओं के खिलाफ पाकिस्तान ने मुकद्दमे दर्ज किए हैं. इसके खिलाफ बलोचियों ने अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है. अलग-अलग देशों में निर्वासित जीवन बिता रहे इन नेताओं का कहना है कि वे पाकिस्तान के दबाव के आगे नहीं झुकेंगे.
दरअसल जिन बलोच नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बलूचिस्तान पर दिए गए बयान का समर्थन किया है उन सबके खिलाफ वह मुकद्दमे दर्ज कर रहा है. लेकिन बलोचियों ने पाकिस्तान के सामने घुटने टेकने से मना कर दिया है. अपना घरबार छोड़कर दूसरे देशों में शरण लिए बलोच नेताओं ने पाकिस्तान के इस कदम की तीखी आलोचना की है.
पेरिस में रहने को मजबूर बलोच नेता मुनीर मेंगल का कहना है कि पाकिस्तान के इस तरह के हथकंडे से बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वे 70 सालों से ज़ुल्म ढा रहे हैं. हर दिन 15-20 नौजवान गायब हो रहे हैं या उनकी लाशें मिल रहीं हैं. ऐसे में ज़ुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वाले हमारे नेताओं के खिलाफ एफआईआर तो मामूली बात है. मुनीर मेंगल कहते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अत्याचार के मुद्दे को उठाकर बहुत ही सही काम किया है.
पाकिस्तान से सोमवार को जानकारी आई कि बलोच नेता ब्रह्मदाग बुगती, हिरबयार मर्री और करीमा बलोच के खिलाफ खुजदार इलाके के पांच पुलिस थानों में मुकद्दमे दर्ज किए गए हैं. इन पर प्रधानमंत्री मोदी से बलूचिस्तान में दखल देने की मांग करने और देशद्रोह जैसे आरोप लगाए गए हैं. यह तीनों नेता दूसरे देशों में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं लेकिन बलोचियों की लड़ाई को जिंदा रखे हुए हैं. लंदन में शरण लिए बलोच नेता मीर हुसैन कहते हैं कि बलोच नेताओं के खिलाफ एफआईआर का पाकिस्तान को कोई हक ही नहीं है. बलूचिस्तान कभी पाकिस्तान का न तो हिस्सा था, न है और न रहेगा. पाकिस्तान चाहे जो मर्ज़ी कर ले.
दरअसल जिन बलोच नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बलूचिस्तान पर दिए गए बयान का समर्थन किया है उन सबके खिलाफ वह मुकद्दमे दर्ज कर रहा है. लेकिन बलोचियों ने पाकिस्तान के सामने घुटने टेकने से मना कर दिया है. अपना घरबार छोड़कर दूसरे देशों में शरण लिए बलोच नेताओं ने पाकिस्तान के इस कदम की तीखी आलोचना की है.
पेरिस में रहने को मजबूर बलोच नेता मुनीर मेंगल का कहना है कि पाकिस्तान के इस तरह के हथकंडे से बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वे 70 सालों से ज़ुल्म ढा रहे हैं. हर दिन 15-20 नौजवान गायब हो रहे हैं या उनकी लाशें मिल रहीं हैं. ऐसे में ज़ुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वाले हमारे नेताओं के खिलाफ एफआईआर तो मामूली बात है. मुनीर मेंगल कहते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अत्याचार के मुद्दे को उठाकर बहुत ही सही काम किया है.
पाकिस्तान से सोमवार को जानकारी आई कि बलोच नेता ब्रह्मदाग बुगती, हिरबयार मर्री और करीमा बलोच के खिलाफ खुजदार इलाके के पांच पुलिस थानों में मुकद्दमे दर्ज किए गए हैं. इन पर प्रधानमंत्री मोदी से बलूचिस्तान में दखल देने की मांग करने और देशद्रोह जैसे आरोप लगाए गए हैं. यह तीनों नेता दूसरे देशों में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं लेकिन बलोचियों की लड़ाई को जिंदा रखे हुए हैं. लंदन में शरण लिए बलोच नेता मीर हुसैन कहते हैं कि बलोच नेताओं के खिलाफ एफआईआर का पाकिस्तान को कोई हक ही नहीं है. बलूचिस्तान कभी पाकिस्तान का न तो हिस्सा था, न है और न रहेगा. पाकिस्तान चाहे जो मर्ज़ी कर ले.
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