मदद के पैसों से अपनी तीनों बेटियों को पढ़ाना चाहते हैं दाना माझी.
नई दिल्ली:
ओडिशा में एंबुलेंस न मिलने पर पत्नी के शव को कंधे पर ढोने वाले दाना माझी को बहरीन से करीब 9 लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली है. माझी को वीवीआईपी फ़्लाइट से भुवनेश्वर से दिल्ली बुलाया गया. यहां बहरीन के प्रधानमंत्री की तरफ से वहां के एंबेसडर ने उन्हें 8 लाख 87 हज़ार रुपये का चेक दिया.
पत्नी की मौत के बाद विभिन्न सरकारी स्कीमों और प्राइवेट चंदे से दाना माझी को काफी आर्थिक मदद मिली लेकिन कुछ नए कपड़ों और जूतों के अलावा उनके जीवन में कुछ नहीं बदला है. मिट्टी के घर की एक दीवार पर उनकी मृत पत्नी की एक फोटो टंगी है. घर से 80 किमी दूर स्थित अस्पताल से 10 किलोमीटर तक अपनी पत्नी का शव कंधे पर ढोने को मजबूर दाना माझी को स्थानीय टीवी चैनल के क्रू ने देखा. दाना माझी की तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर दिया था.
मदद के पैसों से बेटियों को पढ़ाएंगे माझी
मदद के रूप में दाना माझी को जो राशि मिली है, उतनी वह पूरे जीवन में नहीं कमा सके थे. टीबी के चलते अपनी पत्नी को खोने वाले दाना माझी ने निश्चय किया है कि इन पैसों से वह अपनी तीनों बेटियों को पढ़ाएंगे. उनका परिवार कालाहांडी जिले के मेलघर गांव में रहता है जहां बिजली, पानी की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं इसलिए बेटियों को पढ़ने के लिए राजधानी भुवनेश्वर जाना होगा जोकि इनके गांव से 13 घंटे की दूरी पर है.
माझी की बड़ी बेटी चांदनी 14 साल की है, जो उस वक्त पिता के साथ थी जब वह मां के शव को कंधे पर लेकर चल रहे थे. उनकी दूसरी बेटी सोनाई 10 साल की है जिसकी आंखों में मां के जिक्र से ही आंसू छलक आते हैं. उनकी सबसे छोटी बेटी अभी 5 साल की है.
पूरे कालाहांडी जिले में दाना माझी एक मशहूर शख्सियत बन चुके हैं, उनकी झलक पाने के लिए लोग सड़कों पर इंतजार करते हैं. कुछ लोग कयास लगाते हैं कि उनको गांव का सरपंच बना दिया जाएगा या अगले चुनाव में टिकट दिया जाएगा.
पत्नी की मौत के बाद विभिन्न सरकारी स्कीमों और प्राइवेट चंदे से दाना माझी को काफी आर्थिक मदद मिली लेकिन कुछ नए कपड़ों और जूतों के अलावा उनके जीवन में कुछ नहीं बदला है. मिट्टी के घर की एक दीवार पर उनकी मृत पत्नी की एक फोटो टंगी है. घर से 80 किमी दूर स्थित अस्पताल से 10 किलोमीटर तक अपनी पत्नी का शव कंधे पर ढोने को मजबूर दाना माझी को स्थानीय टीवी चैनल के क्रू ने देखा. दाना माझी की तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर दिया था.
मदद के पैसों से बेटियों को पढ़ाएंगे माझी
मदद के रूप में दाना माझी को जो राशि मिली है, उतनी वह पूरे जीवन में नहीं कमा सके थे. टीबी के चलते अपनी पत्नी को खोने वाले दाना माझी ने निश्चय किया है कि इन पैसों से वह अपनी तीनों बेटियों को पढ़ाएंगे. उनका परिवार कालाहांडी जिले के मेलघर गांव में रहता है जहां बिजली, पानी की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं इसलिए बेटियों को पढ़ने के लिए राजधानी भुवनेश्वर जाना होगा जोकि इनके गांव से 13 घंटे की दूरी पर है.
माझी की बड़ी बेटी चांदनी 14 साल की है, जो उस वक्त पिता के साथ थी जब वह मां के शव को कंधे पर लेकर चल रहे थे. उनकी दूसरी बेटी सोनाई 10 साल की है जिसकी आंखों में मां के जिक्र से ही आंसू छलक आते हैं. उनकी सबसे छोटी बेटी अभी 5 साल की है.
पूरे कालाहांडी जिले में दाना माझी एक मशहूर शख्सियत बन चुके हैं, उनकी झलक पाने के लिए लोग सड़कों पर इंतजार करते हैं. कुछ लोग कयास लगाते हैं कि उनको गांव का सरपंच बना दिया जाएगा या अगले चुनाव में टिकट दिया जाएगा.
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