विज्ञापन
This Article is From Sep 02, 2019

अयोध्या मामला : मुस्लिम पक्ष ने कहा- भूमि विवाद का निपटारा कानून से हो, पुराण और वेद के जरिए नहीं

वकील राजीव धवन ने कहा, शिला पर एक मोर या कमल था, इसका मतलब यह नहीं है कि मस्जिद से पहले एक विशाल संरचना थी

अयोध्या मामला : मुस्लिम पक्ष ने कहा- भूमि विवाद का निपटारा कानून से हो, पुराण और वेद के जरिए नहीं
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं.
नई दिल्ली:

अयोध्या के राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकार की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा मेरे मित्र वैद्यनाथन ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी, लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती. यहां इसे लेकर इतनी दलीलें दी गईं लेकिन इन्हें सुनने के बाद भी मैं यह नहीं दिखा सकता कि परिक्रमा कहां है. इसलिए यह सबूत नहीं है. हम सिर्फ इसलिए इस पक्ष को मजबूती से देख रहे हैं क्योंकि वहां की शिला पर एक मोर या कमल था. इसका मतलब यह नहीं है कि मस्जिद से पहले एक विशाल संरचना थी.

धवन ने कहा कि भूमि विवाद का निपटारा कानून के हिसाब से हो, न कि स्कन्द पुराण और वेद के जरिए. अयोध्या में लोगों की आस्था हो सकती है, लेकिन यह सबूत नहीं. मुस्लिम पक्षकार के वकील धवन ने कहा कि स्वयंभू का मतलब भगवान का प्रकट होना होता है. इसको किसी खास जगह से नहीं जोड़ा जा सकता. हम स्वयंभू और परिक्रमा के दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकते.

अयोध्या मामला : रामलला विराजमान का दावा, विवादित स्थल पर विशाल मंदिर होने के प्रमाण

धवन ने पुराने मुकदमों और फैसलों के हवाले दिए. कहा, देवता की सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं, सिर्फ सेवायत का ही होता है. ब्रिटिश राज में प्रिवी काउंसिल के आदेश का हवाला देते हुए धवन ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सन 1950 में सूट दाखिल हुआ और निर्मोही अखाड़े ने 1959 में दावा किया. घटना के 40 साल बाद इन्होंने दावा किया. ये कैसी सेवायत है? श्रद्धालुओं ने भी पूजा के अधिकार का दावा किया. देवता के कानूनी व्यक्ति या पक्षकार होने पर धवन ने कहा कि देवता का कोई ज़रूरी/आवश्यक पक्षकार नहीं रहा है. यहां तो देवता और सेवायत ही आमने-सामने हैं. देवता के लिए अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट में दावा नहीं किया जा सकता.

अयोध्या मामला: वकील ने लगाई याचिका- मुस्लिम पक्ष की पैरवी करने पर मिली धमकी, SC मंगलवार को करेगा सुनवाई

धवन ने कहा कि इस मामले में इतिहास और इतिहासकारों पर भरोसा नहीं कर सकते. जिस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपने भी तो इतिहास के सबूत रखे हैं? उसका क्या?  

अयोध्या केस : राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने कहा- बाबर न तो जमीन का मालिक था, न ही उसने मस्जिद बनवाई

धवन ने दलील दी कि वैदिक काल में मन्दिर बनाने और वहीं मूर्तिपूजा करने की कोई परम्परा ही नहीं थी. कोई मन्दिर या स्थान ज्यूरिस्टक पर्सन, यानी कानूनी व्यक्ति हो ही नहीं सकता. हां, देवता या मूर्ति कानूनी व्यक्ति यानी ज्यूरिस्टिक पर्सन तो हो सकते हैं, पर मुकदमा नहीं लड़ सकते.

अयोध्या केस : सुप्रीम कोर्ट में दलील, बाबर के वंशज किसी इमारत के मालिक हो सकते हैं लेकिन मस्जिद के नहीं

धवन ने कहा कि महाभारत तो इतिहास की कथा है, लेकिन रामायण तो काव्य है. क्योंकि वाल्मीकि ने खुद इसे काव्य और कल्पना से लिखा है. रामायण तो राम और उनके भाइयों की कहानी है. तुलसीदास ने भी मस्जिद के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है जबकि उन्होंने राम के बारे में सबसे बाद में लिखा.

अयोध्या केस: SC ने कहा- 500 साल बाद बाबर के मस्जिद बनाने के विषय की जांच करना थोड़ी समस्या वाली बात

मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी.

VIDEO : मुस्लिम पक्ष का ऐतराज खारिज

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com