पहली बार महिला कैदियों को जेल सुधार के लिए दिया गया सम्मान

पहली बार महिला कैदियों को जेल सुधार के लिए दिया गया सम्मान

डॉ वर्तिका नंदा (बाएं), महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी (दाएं)

भारतीय जेलों में बंद महिला कैदियों के लिए 'तिनका-तिनका बंदिनी' अवॉर्ड जारी किया गया है। इस सम्मान के तहत उन महिला कैदियों को सम्मानित किया गया जो जेल में रहकर खुद के सुधार के साथ-साथ जेल सुधार से जुड़े काम में हिस्सा ले रही हैं।

जहां उत्तर प्रदेश की जेल में बंद सुंदरा को जैविक खेती और जेल की जमीन को हरा-भरा करने के लिए अवॉर्ड दिया गया, वहीं गुजरात की रमीलाबेन दिनेश पंचाल को नर्स के रूप में सेवाएं देने के लिए शाबाशी दी गई। डासना जेल में डॉ. नुपुर तलवार को कैदियों के दांतों का इलाज करने के लिए अवॉर्ड मिला। इस अवॉर्ड की परिकल्पना जेल सुधार कार्यकर्ता डॉ वर्तिका नंदा द्वारा की गई है। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने यह पुरस्कार प्रदान किए।

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यह अवॉर्ड इस साल 2016 में ही पहली बार दिए जा रहे हैं और इसके लिए 25 महिलाओं को चुना गया। इस लिस्ट में सबसे बुजु़र्ग महिला कैदी सकीना बेगम महमूद हैं। लखनऊ की जेल में उम्र कैद काट रही सकीना क्रोशिये का काम करती हैं और उन्होंने यह हुनर अपने बाकी साथियों को भी सिखाया है। लखनऊ महोत्सव में सकीना की यह कारीगरी बहुत पसंद की जाती है। वहीं लिस्ट में सबसे युवा नाम 25 साल की नीलम रामचंद्र गुप्ता का है, जिन्होंने 11 साल से ज्यादा लखनऊ जेल में बिताए है। उन्हें जेल में सांस्कृतिक कार्यक्रम करने के लिए चुना गया।