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This Article is From Jun 18, 2012

साहित्यकार अरुण प्रकाश का निधन

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वरिष्ठ कथाकार अरुण प्रकाश का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को दिल्ली के पटेल चेस्ट अस्पताल में निधन हो गया। इसी अस्पताल में उनकी सांस की बीमारी का लंबे समय से इलाज चल रहा था। वह 64 वर्ष के थे।
नई दिल्ली: वरिष्ठ कथाकार अरुण प्रकाश का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को दिल्ली के पटेल चेस्ट अस्पताल में निधन हो गया। इसी अस्पताल में उनकी सांस की बीमारी का लंबे समय से इलाज चल रहा था। वह 64 वर्ष के थे।

बिहार के बेगूसराय में 22 फरवरी 1948 को जन्मे अरुण प्रकाश कुछ वर्षों तक अध्यापन और पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्य करते रहे। उन्होंने अंग्रेजी से हिंदी में  विभिन्न विषयों की आठ पुस्तकों का अनुवाद किया। वह 'चंद्रकांता' सहित कई धारावाहिकों, वृत्तचित्रों एवं टेलीफिल्मों से भी जुड़े रहे।

हाल के एक दशक में उन्होंने स्वयं को कथा समीक्षा और आलोचना के लिए समर्पित कर दिया था। प्रसिद्ध कथाकार अरुण प्रकाश के चर्चित कथा संग्रह हैं-भैया एक्सप्रेस, जलप्रांतर, मझधार किनारे, लाखों  के बोल सहे, विषम राग और स्वप्न घर। कविता संकलन 'रथ के बारे में' के अलावा उनका उपन्यास 'कोंपल कथा' भी काफी चर्चित रहा।

अरुण प्रकाश को हिंदी अकादमी का साहित्यकार सम्मान, रेणु पुरस्कार, दिनकर सम्मान, सुभाष चंद्र बोस कथा सम्मान और कृष्ण प्रताप स्मृति कथा पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

हाल के दिनों में उन्होंने साहित्य अकादमी की पत्रिका 'समकालीन भारतीय साहित्य' के कई अंकों का संपादन भी किया था। वह दिल्ली के दिलशाद गार्डन स्थित अपने आवास में अपनी पत्नी और एक बेटे तथा एक बेटी के साथ रह रहे थे।

कई सहित्यकारों ने अरुण प्रकाश के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है।

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