PaytM के फाउंडर विजय शेखर शर्मा
नई दिल्ली:
महज़ पांच साल में विजय शेखर शर्मा ने अपने स्टार्ट अप (जिसके पास ठीक ठाक फंड थे) को एक अरब डॉलर की कंपनी में बदल दिया जिसे आज सब पेटीएम (PaytM)के नाम से जानते हैं। यही नहीं विजय ने हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम के टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 200 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। लेकिन विजय के लिए रास्ते हमेशा इतने आसान नहीं थे।
अपनी एक पुरानी और विफल कोशिश की बात करते हुए विजय ने बताया 'मेरे पास डिनर के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। मेरे लिए बस दो चाय ही काफी होती थी। 10 रुपए बचाने के लिए मैं बस की जगह पैदल जाया करता था।'
37 साल के विजय की कंपनी दिल्ली एनसीआर के नोयडा में है जहां नौजवानों की टीम काम में डटी हुई है और दीवारें दिलचस्प कोट्स (quotes) से ढकी हुई हैं।
विजय शेखऱ ने अपना बचपन अलीगढ़ में बिताया था जिसके बाद उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, उस वक्त वह महज़ 15 साल के थे। समस्या ये थी कि शेखर को ना तो अंग्रेजी बोलनी आती थी और ना ही समझी जाती थी। 'मैं सब कुछ हिंदी में करता था लेकिन क्लास में तो सब कुछ अंग्रेज़ी में ही हुआ करता था। मेरा हाल तारे ज़मीं पर जैसा था, मेरे सामने अक्षर नाच रहे होते थे।'
हालातों से परेशान विजय ने धीरे धीरे क्लास में आना बंद कर दिया और डिक्शनरी, पुरानी मैगज़ीन की सहायता से अंग्रेजी सीखना शुरु किया। 90 के दशक में इन्हीं पत्रिकाओं की बदौलत शेखर को सिलिकॉन वैली और इंटरनेट की दुनिया के बारे में पता चला। वहां जाने का मन तो था लेकिन जैसा ये इतना आसान नहीं था क्योंकि जैसा कि शेखर ने बताया 'आईआईएम में दाखिले के लिए 2.3 लाख रुपए लगने थे, मेरे लिए ये मुमकिन नहीं था इसलिए मैंने सोचा कि एक दिन इस लायक बनूंगा कि इन्हीं लोगों को अपने यहां नौकरी पर पाऊं।'
दरअसल कॉलेज के वक्त शेखर ने एक सर्च इंजिन कंपनी की शुरुआत की थी जिसे बेचकर One97 की बारी आई जो मोबाइल फोन ऑपरेटर्स को Vas सर्विस मुहैया करता था। सब ठीकठाक चल रहा था तभी स्टॉक मार्केट क्रैश हो गया। यही वक्त था जब शेखर को चाय से काम चलाना पड़ रहा था और बस का सफर मानो सपना बनकर ही रह गया था।
फिर 2010 में Paytm की शुरुआत हुई जिसे आप ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं। अब इस कंपनी में 4000 लोग काम करते हैं और ये एक ऑनलाइन पर्स की तरह है जो एक अच्छी खासी ई-कॉमर्स कंपनी में तब्दील हो गई है।
उनके निवेशकों में चीन की नामी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के मालिक जैक मा और रतन टाटा शामिल हैं। अपने इस संघर्षों से भरे सफर के बारे में बात करते हुए विजय शेखऱ ने कहा 'कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किसी जगह से आए हैं। बस कुछ चाहिए तो वो है लगन, या तो आप अंदर रहेंगे या फिर बाहर।'
शेखर एक बेटे के पिता हैं और उनके मुताबिक बढ़ती उम्र के साथ परिपक्वता आ ही जाती है। वैसे हाल ही में उन्होंने अपनी हिम्मत को आज़माने के लिए प्लेन से छलांग मारी थी। इसके अलावा नए व्यापारों में निवेश का जोखिम उठाना भी उनका शौक है।
(Disclosure : विजय शेखर शर्मा की कपंनी One97, एनडीटीवी के Gadgets360 में निवेशक है )
अपनी एक पुरानी और विफल कोशिश की बात करते हुए विजय ने बताया 'मेरे पास डिनर के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। मेरे लिए बस दो चाय ही काफी होती थी। 10 रुपए बचाने के लिए मैं बस की जगह पैदल जाया करता था।'
37 साल के विजय की कंपनी दिल्ली एनसीआर के नोयडा में है जहां नौजवानों की टीम काम में डटी हुई है और दीवारें दिलचस्प कोट्स (quotes) से ढकी हुई हैं।
विजय शेखऱ ने अपना बचपन अलीगढ़ में बिताया था जिसके बाद उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, उस वक्त वह महज़ 15 साल के थे। समस्या ये थी कि शेखर को ना तो अंग्रेजी बोलनी आती थी और ना ही समझी जाती थी। 'मैं सब कुछ हिंदी में करता था लेकिन क्लास में तो सब कुछ अंग्रेज़ी में ही हुआ करता था। मेरा हाल तारे ज़मीं पर जैसा था, मेरे सामने अक्षर नाच रहे होते थे।'
हालातों से परेशान विजय ने धीरे धीरे क्लास में आना बंद कर दिया और डिक्शनरी, पुरानी मैगज़ीन की सहायता से अंग्रेजी सीखना शुरु किया। 90 के दशक में इन्हीं पत्रिकाओं की बदौलत शेखर को सिलिकॉन वैली और इंटरनेट की दुनिया के बारे में पता चला। वहां जाने का मन तो था लेकिन जैसा ये इतना आसान नहीं था क्योंकि जैसा कि शेखर ने बताया 'आईआईएम में दाखिले के लिए 2.3 लाख रुपए लगने थे, मेरे लिए ये मुमकिन नहीं था इसलिए मैंने सोचा कि एक दिन इस लायक बनूंगा कि इन्हीं लोगों को अपने यहां नौकरी पर पाऊं।'
दरअसल कॉलेज के वक्त शेखर ने एक सर्च इंजिन कंपनी की शुरुआत की थी जिसे बेचकर One97 की बारी आई जो मोबाइल फोन ऑपरेटर्स को Vas सर्विस मुहैया करता था। सब ठीकठाक चल रहा था तभी स्टॉक मार्केट क्रैश हो गया। यही वक्त था जब शेखर को चाय से काम चलाना पड़ रहा था और बस का सफर मानो सपना बनकर ही रह गया था।
फिर 2010 में Paytm की शुरुआत हुई जिसे आप ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं। अब इस कंपनी में 4000 लोग काम करते हैं और ये एक ऑनलाइन पर्स की तरह है जो एक अच्छी खासी ई-कॉमर्स कंपनी में तब्दील हो गई है।
उनके निवेशकों में चीन की नामी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के मालिक जैक मा और रतन टाटा शामिल हैं। अपने इस संघर्षों से भरे सफर के बारे में बात करते हुए विजय शेखऱ ने कहा 'कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किसी जगह से आए हैं। बस कुछ चाहिए तो वो है लगन, या तो आप अंदर रहेंगे या फिर बाहर।'
शेखर एक बेटे के पिता हैं और उनके मुताबिक बढ़ती उम्र के साथ परिपक्वता आ ही जाती है। वैसे हाल ही में उन्होंने अपनी हिम्मत को आज़माने के लिए प्लेन से छलांग मारी थी। इसके अलावा नए व्यापारों में निवेश का जोखिम उठाना भी उनका शौक है।
(Disclosure : विजय शेखर शर्मा की कपंनी One97, एनडीटीवी के Gadgets360 में निवेशक है )
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