असम के सीएम सोनोवाल ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना
नई दिल्ली:
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने एनआरसी पर खूनखराबा और गृहयुद्ध की बात कही थी. सोनोवाल ने कहा कि किसी मुख्यमंत्री की तरफ से इस तरह का बयान आना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने ममता बनर्जी के इस बयान को भड़ाऊ बताया. सोनोवाल ने आरोप लगाया कि बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एनआरसी पर दुष्प्रचार कर और गलत सूचनाएं दे कर संसद की कार्यवाही बाधित की है और संसद का बहुमूल्य वक्त बर्बाद किया है. उन्होंने कहा कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से तैयार किए गए एनआरसी के मसौदे के प्रकाशन के बाद असम में कानून और व्यवस्था से जुड़ी एक भी घटना नहीं हुई. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के बयान भड़काऊ और विभाजनकारी हैं और उनके अपने राज्य के वोट बैंक के लिए है. यह मुख्यमंत्री के लिए उचित नहीं है.
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उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि असम में एनआरसी की कवायद लोगों को विभाजित करने की राजनीतिक मंशा के तहत की गई है. इससे देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है और खूनखराबा भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि देश में तथा विदेश में एनआरसी पर अफवाहें फैलाई गईं लेकिन वह असम की जनता के प्रति आभारी हैं खासतौर पर बराक घाटी व बंगालियों के प्रति जो बाहरी ताकतों की बुरी योजना के शिकार नहीं बने जिन्होंने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को उकसाने का प्रयास किया. उन्होंने एनआरसी के मसौदे के प्रकाशन का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर भी भड़ास निकाली.
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सोनोवाल ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार 2010 में लॉंच एनआरसी की प्रायोगिक परियोजना कानून और व्यवस्था की समस्या के कारण पूरी करने तक में विफल रही है. यह हमारी सरकार है जिसने उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत पहल की और दो साल में प्रक्रिया पूरी की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर वह सुनिश्चित करेंगे कि एनआरसी के अंतिम मसौदे में एक भी भारतीय छूटने नहीं पाए. सोनोवाल ने पश्चिम बंगाल के साथ असम के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि सदियों से दोनों राज्यों के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध हैं और आशुतोष मुखर्जी जैसे विद्वानों ने 20वीं सदी की शुरूआत में कोलकाता विश्वविद्यालय में असमिया भाषा शामिल करने में सहायता की.
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उन्होंने कहा कि इसलिए ऐसे राज्य, जिसकी संस्कृति तथा पंरपरा की जड़े बेहद गहरी हैं, की मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी को इस प्रकार के निराधार बयान नहीं देने चाहिए जिनमें सांप्रदायक रंग हैं और जिनका मकसद असम और बंगाल के बीच प्रगाढ़ संबंध को बिगाड़ना है. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार एनआरसी के अद्यतन के काम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल तथा एनआरसी अधिकारियों का शुक्रिया अदा किया.
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उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि असम में एनआरसी की कवायद लोगों को विभाजित करने की राजनीतिक मंशा के तहत की गई है. इससे देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है और खूनखराबा भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि देश में तथा विदेश में एनआरसी पर अफवाहें फैलाई गईं लेकिन वह असम की जनता के प्रति आभारी हैं खासतौर पर बराक घाटी व बंगालियों के प्रति जो बाहरी ताकतों की बुरी योजना के शिकार नहीं बने जिन्होंने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को उकसाने का प्रयास किया. उन्होंने एनआरसी के मसौदे के प्रकाशन का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर भी भड़ास निकाली.
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सोनोवाल ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार 2010 में लॉंच एनआरसी की प्रायोगिक परियोजना कानून और व्यवस्था की समस्या के कारण पूरी करने तक में विफल रही है. यह हमारी सरकार है जिसने उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत पहल की और दो साल में प्रक्रिया पूरी की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर वह सुनिश्चित करेंगे कि एनआरसी के अंतिम मसौदे में एक भी भारतीय छूटने नहीं पाए. सोनोवाल ने पश्चिम बंगाल के साथ असम के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि सदियों से दोनों राज्यों के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध हैं और आशुतोष मुखर्जी जैसे विद्वानों ने 20वीं सदी की शुरूआत में कोलकाता विश्वविद्यालय में असमिया भाषा शामिल करने में सहायता की.
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उन्होंने कहा कि इसलिए ऐसे राज्य, जिसकी संस्कृति तथा पंरपरा की जड़े बेहद गहरी हैं, की मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी को इस प्रकार के निराधार बयान नहीं देने चाहिए जिनमें सांप्रदायक रंग हैं और जिनका मकसद असम और बंगाल के बीच प्रगाढ़ संबंध को बिगाड़ना है. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार एनआरसी के अद्यतन के काम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल तथा एनआरसी अधिकारियों का शुक्रिया अदा किया.
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