जयपुर:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अपने बेटे को फायदा पहुंचाने का आरोप लग रहा है। एनडीटीवी को मिले दस्तावेज बता रहे हैं कि उन्होंने उन कंपनियों को करोड़ों के ठेके दिए जहां उनका बेटा काम कर रहा है। एनडीटीवी को ऐसे एक्सक्लूसिव दस्तावेज हाथ लगे हैं जो बताते हैं कि कैसे उन दो कंपनियों को करोड़ों का ठेका मिला जिसमें अशोक गलहोत का बेटा काम करता है। मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत पेशे से वकील हैं साथ ही ओम मेटल्स और ट्राइटन होटल ग्रुप का लीगल कंसल्टेंट भी। वैभव ने 2006 में ओम मेटल्स ज्वाइन किया तब तनख्वाह करीब 10000 रुपये थी। लेकिन गहलोत की सत्ता आते ही हालात बदल गए। मई 2010 में राजस्थान सरकार ने ओम मेटल्स को कालीसिंध डैम से जुड़ा 457 करोड़ का ठेका दिया। दो महीने बाद जुलाई में ओम मेटल्स को जयपुर−भीलवाड़ा रोड का 250 करोड़ का ठेका मिला। इतने पर भी हद नहीं हुई। जुलाई 2009 में मुख्यमंत्री के बेटे ने बतौर लीगल कंसलटेंट ट्राइटन होटल्स ग्रुप ज्वॉइन किया तब तनख्वाह हो गई 50000 रुपये। उसी साल अगस्त में गहलोत सरकार ने ट्राइटन होटल्स को दिल्ली जयपुर हाईवे पर 10000 वर्ग मीटर कृषि भूमि के कमर्शियल इस्तेमाल की इजाज़त दे दी। जिसके बाद ट्राइटन होटल दिल्ली−जयपुर के बीच करोड़ों की प्रॉपर्टी का मालिक हो गया। सिलसिला यहीं नहीं रुका 2010 में वैभव ने अपनी कंपनी सनलाइट टूअर्स एंड ट्रेवेल्स की आधी हिस्सेदारी ट्राइटन होटल्स के एक डायरेक्टर रतन कांत शर्मा को बेच दी। एनडीटीवी ने इन सवालों के जवाब तो मांगे लेकिन मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया देने से पहले तो मना कर दिया पर बाद में कहा कि उन्होंने कभी भी भाई-भतीजावाद का समर्थन नहीं किया। उनका दावा है कि कंपनी को सारे ठेके नियम के मुताबिक ही दिए गए हैं। अब राज्य का विपक्ष भी हिसाब मांग रहा है। ये खुलासा कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को शर्मसार कर सकता है खासकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की परिवारवाद और जमीन घोटाले के आरोपों के बाद। क्योंकि कुछ ऐसे ही आरोप अब राजस्थान की गहलोत सरकार पर हैं।
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