Exclusive: नागरिकता बिल पर बोले ओवैसी- मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में डालना चाहती है सरकार

असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संषोधन बिल को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताया है. 

Exclusive: नागरिकता बिल पर बोले ओवैसी- मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में डालना चाहती है सरकार

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार मुसलमानों को स्टेटलेस बनाना चाहती है.

खास बातें

  • CAB पर सरकार की मंशा को लेकर उठाए सवाल
  • CAB को ओवैसी ने बताया संविधान के खिलाफ
  • ओवैसी बोले- सभी दलों से करेंगे विरोध करने की अपील
नई दिल्ली:

हैदराबाद से लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने गुरुवार को एनडीटीवी से खास बातचीत में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) और एनआरसी (NRC) के मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कि वे इसका वे इसका हर हाल में विरोध करेंगे और दूसरे दलों से भी ऐसा करने की अपील करेंगे. ओवैसी ने कहा, ''संविधान में नागरिकता को धर्म से नहीं जोड़ गया. पहली बार ऐसा हो रहा है  जब बीजेपी की सरकार अपना असली चेहरा दिखा रही है.''  उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने दिखा दिया है कि वे अपनी विचारधारा पर अमल कर रहे हैं संविधान पर नहीं.  उन्होंने कहा कि ये साफ तौर पर संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है. 

ओवैसी ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल के बाद जो एनआरसी आएगा उसमें उन सभी को नागरिकता मिल जाएगी जो मुस्लिम नहीं हैं. और मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा. सरकार मुसलमानों को स्टेटलेस बनाना चाहती है. मोदी सरकार देश को बांटने का काम कर रही है. 

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संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए ओवैसी ने कहा, ''नागरिकता संशोधन बिल बनाकर सरकार भारत को इजरायल की कतार में लाकर खड़ा करना चाह रही है.'' उन्होंने कहा, ''इसका विरोध करना हरेक की जिम्मेदारी है क्योंकि ये संविधान, नैतिकता और अंतर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ है.'' 

असम में लागू हुए एनआरसी लेकर उन्होंने कहा कि वहां मुस्लिमों को निशाना बनाया गया. अब उनका मामला विदेश न्यायाधिकरण में लटक जाएगा. उन्हें डिटेंशन सेंटर्स में डाल दिया जाएगा. ओवैसी ने कहा,  ''एनआरसी की देश को जरूरत नहीं है. असम में आपने कराकर देख लिया है."

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ओवैसी ने कहा  कि प्रधानमंत्री को पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं की फिक्र है जबकि उन्हें अपने देश के नागरिकों की फिक्र होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में जब तक संविधान है इसे धार्मिक आधार पर नहीं बांटा जा सकता है. 

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