मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने अर्थव्यवस्था को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा...

अरविंद सुब्रमण्यन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ लिखे गए नए शोध पत्र में कहा है कि भारत इस समय बैंक, बुनियादी ढांचा, और रियल एस्टेट- इन चार क्षेत्रों की कंपनियां के लेखा-जोखा के संकट का सामना कर रहा है.

मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने अर्थव्यवस्था को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा...

अरविंद सुब्रमण्यन ने अर्थव्यवस्था को लेकर उठाए सवाल

खास बातें

  • अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा हर क्षेत्र में मांग घटी
  • सुब्रमण्यन ने कहा भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल संकट में है
  • मोदी सरकार की नीतियों पर भी उठाए सवाल
नई दिल्ली:

मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने बुधवार को भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल अर्थव्यवस्था जिस हालात में है उससे यह साफ है कि यह ICU में जा रही है. अरविंद सुब्रमण्यन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ लिखे गए नए शोध पत्र में कहा है कि भारत इस समय बैंक, बुनियादी ढांचा, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और रियल एस्टेट- इन चार क्षेत्रों की कंपनियां के लेखा-जोखा के संकट का सामना कर रहा है.इसके अलावा भारत ब्याज दर और वृद्धि के प्रतिकूल चक्र में फंसी है.

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उन्होंने आगे लिखा कि निश्चित रूप से यह साधारण सुस्ती नहीं है. भारत में गहन सुस्ती है और अर्थव्यवस्था ऐसा लगता है कि आईसीयू में जा रही है. बता दें कि अरविंद सुब्रमण्यन ने दिसंबर, 2014 में दोहरे बही खाते की समस्या के प्रति आगाह किया था. उस समय वह नरेंद्र मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे. उन्होंने उस समय कहा था कि निजी कंपनियों पर बढ़ता कर्ज बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन रहा है. अपने नए शोध पत्र को सुब्रमणियन ने दो भागों टीबीएस और टीबीएस-दो में बांटा है. टीबीएस-1 इस्पात, बिजली और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए बैंक कर्ज के बारे में है. यह कर्ज निवेश में जोरदार तेजी के दौरान 2004-11 के दौरान दिया गया, जो बाद में एनपीए बन गया.

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टीबीएस-दो नोटंबदी के बाद की स्थिति के बारे में है. इसमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और रियल एस्टेट कंपनियों के बारे में है. सुब्रमण्यन ने लिखा है, ‘‘वैश्विक वित्तीय संकट से भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार सुस्त पड़ी है. भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में योगदान देने वाले दो इंजन निवेश और निर्यात प्रभावित हुए हैं. आज एक और इंजन उपभोग या खपत भी बंद हो गया है.

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इस वजह से पिछली कुछ तिमाहियों से वृद्धि दर काफी नीचे आ गई है. चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है. यह लगातार छठी छमाही है जबकि वृद्धि दर में गिरावट आई. बता दें कि सुब्रमण्यन नरेंद्र मोदी सरकार के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) रहे है. उन्होंने पिछले साल अगस्त में इस्तीफा दे दिया था.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)