'मीडिया पर लगाम' लगाने से जुड़े सर्कुलर को लेकर निशाने पर आए अरविंद केजरीवाल

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार के उस विवादास्पद परिपत्र को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं, जिसमें किसी भी मानहानिकारक समाचार के लिए मीडिया के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इसपर निशाना साधते हुए कांग्रेस और बीजेपी ने उन पर 'पाखंडी' और 'अलोकतांत्रिक' होने का आरोप लगाया।

कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा, 'जब सरकार की आलोचना हो रही है, जब मीडिया उनकी सरकार के गलत कृत्यों को उजागर कर रही है तो मुख्यमंत्री उस पर आपत्ति जता रहे हैं। यह मुख्यमंत्री के अलोकतांत्रिक रवैये को दर्शाता है।'

इसी तरह की राय जाहिर करते हुए बीजेपी ने कहा कि जहां केजरीवाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में बात करते हैं, वहीं वह 'सबका गला घोंटना' चाहते हैं। बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा, 'वह अनियंत्रित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहते हैं, लेकिन दूसरे सभी का गला घोंटना चाहते हैं। यह पाखंड की पराकाष्ठा है।'

आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने एक पत्र जारी करके सभी अधिकारियों से कहा है कि अगर सरकार या काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई आपत्तिजनक टिप्पणी करता है तो उसकी शिकायत प्रधान सचिव (गृह) से कर सकते हैं। (पढ़ें - दिल्ली सरकार का फरमान, आपत्तिजनक टिप्पणी हुई तो दर्ज होगा मानहानि का मामला)

इस सर्कुलर पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि यह 'विचित्र' है कि केजरीवाल चुनाव से पहले जो भी बोला करते थे हर काम उसके उलट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।

माकन ने कहा, 'जैसे ही उनकी (केजरीवाल की) पार्टी सत्ता में आई उन्होंने भवन (सचिवालय) में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी। उन्हें मीडिया से समस्या नहीं होनी चाहिए थी, क्योंकि उनकी पार्टी उनकी मदद से सत्ता में आई।'

केजरीवाल की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता चाको ने कहा कि कई मुद्दों पर उनका पर्दाफाश हो रहा है और आप सरकार पहले ही दिन से सरकार की तरह काम नहीं कर रही है, क्योंकि आंतरिक कलह ने इसके कामकाज को प्रभावित किया है।

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उन्होंने कहा, 'जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को आलोचना को सुनने के लिए पर्याप्त धर्य रखना चाहिए और यह इस बात का भी संकेत देता है कि सरकार में गड़बड़ी, भ्रष्टाचार है और समन्वय का अभाव है।'