उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि चुनाव आयोग ने कुछ विलंब से इस कार्यक्रम की शुरुआत की है.
- बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर अब एनडीए के सहयोगी भी सवाल उठाने लगे हैं.
- उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट रिवीजन की शुरुआत में विलंब किया है.
- कुशवाहा ने कहा कि कई लोग दस्तावेज के बिना हैं, जिससे सत्यापन प्रक्रिया में कठिनाई आएगी.
- कुशवाहा ने दत्तात्रेय होसबोले के संविधान से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने के बयान पर असहमति जताई है.
बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन (Bihar Voter List Revision) को लेकर राजनीति गरमाई हुई है. विपक्षी दलों के साथ-साथ अब एनडीए के सहयोगी भी सवाल उठाने लगे हैं. एनडीटीवी इंडिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में एनडीए सहयोगी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि इस काम के लिए बहुत कम समय दिया गया है. चुनाव आयोग को लोगों की चिंताओं का समाधान करना चाहिए. लोगों के पास दस्तावेज के लिए कम समय है. इसके अलावा कुशवाहा ने ये भी कहा कि वो दत्तात्रेय होसबोले की बात से सहमत नहीं हैं कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को संविधान से हटाया जाए.
उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि वोटर लिस्ट के सत्यापन या रिव्यू का काम हमेशा से होता रहा है. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, लेकिन आम लोगों के लिए थोड़ी चिंता का विषय जरूर है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग बिहार से बाहर रहते हैं, अगर उन्हें सत्यापन के लिए कहा जाएगा तो इतने कम समय में कैसे कर पाएंगे.
कई लोगों के पास कोई दस्तावेज नहीं: कुशवाहा
साथ ही उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग हैं, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है. ऐसे कई लोग हैं जो कभी स्कूल ही नहीं गए हैं तो मेट्रिक पास होने का सवाल ही नहीं है. ना जन्मतिथि और ना ही निवास के लिए कोई दस्तावेज है. उन्होंने कहा कि अगर समय रहता तो निवास का प्रमाण पत्र बनवाया जा सकता था.
चुनाव आयोग ने विलंब से की शुरुआत: कुशवाहा
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने कुछ विलंब से इस कार्यक्रम की शुरुआत की है. लोगों के मन की आशंका को चुनाव आयोग को देखना चाहिए और उसका हल निकालकर आगे काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि बिहार में सात-आठ करोड़ मतदाता हैं और इस लिहाज से समय थोड़ा कम है.
होसबोले के बयान से सहमत नहीं: कुशवाहा
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने के बयान पर टिप्पणी करते हुए कुशवाहा ने कहा कि हमारी पार्टी इस बात से सहमत नहीं है कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाया जाए.
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