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आर्मी चीफ जनरल बिक्रम सिंह की अगुवाई में पुणे में सेना का सबसे बड़ा टेबलटॉप अभ्यास हो रहा है। उधर, पाकिस्तान भी जैसलमेर की दूसरी तरफ फील्ड अभ्यास कर रहा है।
पहले ऑपरेशन विजयी भव, उसके बाद सुदर्शन शक्ति और फिर शूरवीर... एक के बाद एक युद्धाभ्यास करती भारतीय सेना। इन सबका मकसद एक है कि अगर कभी जरूरत पड़े तो दुश्मन को धूल चटाया जा सके। ऐसी कवायदों की ही अगली कड़ी अभी पुणे में चल रही है जिसमें सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह के साथ सभी सात आर्मी कमांडर इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
तीन-चार साल में एक बार होने वाले टेबलटॉप अभ्यास भी काफी अहम होते हैं। सेना के मिलेट्री इंटेलिजेंस के पूर्व डीजी लेफ्टिनेंट जनरल आरके साहनी कहते हैं कि इतना बड़ा अभ्यास करना संभव नहीं है इसलिए टेबलटॉप पर बैठते हैं और फिर रणनीति अपनाई जाती है। जरूरत पड़ने पर नए हथियार और हमले करने के तौर-तरीके अपनाए जाते हैं।
दरअसल, सीमा के उस पार पाकिस्तानी सेना भी दो महीनों के लिए सिंध के इलाके में जंग का अभ्यास करने में जुटी है। ऐसे में टेबलटॉप वॉरगेम की अहमियत बढ़ जाती है जिसमें में ना सिर्फ आर्मी बल्कि एयरफोर्स से भी तालमेल बिठाने का काम किया जाता है। ताकि कम वक्त में भी दुश्मन के ठिकाने पर जोरदार तरीके से हमला बोलकर उन्हें तबाह किया जा सके।
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