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केंद्र सरकार ये समझने में लगी है कि चूक कहां हुई और वह क्या कर सकती है
आतंकियों द्वारा इस्तेमाल जीपीएस को जांच के लिए अमेरिका भेजा जा सकता है
रॉ के मुताबिक़ एक और फ़िदायीन दस्ता घाटी में दाख़िल हो चुका है
इस बीच मंगलवार दोपहर केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती से मुलाकात की. दोपहर को कश्मीर के हालात और उरी के हमले और घुसपैठ को लेकर समीक्षा बैठक भी हुई. केंद्र सरकार ये समझने में लगी है कि चूक कहां हुई और वह क्या कर सकती है.
एक राय ये है कि उरी के हमले पर सेना बचाव नहीं कर सकी. हालांकि सेना की दलील है कि 11 सितंबर को उसने चार बड़ी घुसपैठें नाकम कीं. नौगाम, तंगधार, गुरेज और पुंछ में उसने घुसपैठियों को रोका और नौगाम में 4 और पुंछ में 4 घुसपैठिये मारे गए.
बताया जा रहा है कि सरकार सख्त क़दम उठाने के हक़ में है हालांकि कुछ कहने से बच रही है. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू का कहना है, 'हम लोगों के जज़्बात समझते हैं, कार्रवाई तो होगी.'
इस बीच ये भी बताया जा रहा है कि घुसपैठियों का एक समूह अब भी आज़ाद है और उरी की तरह किसी अहम सैनिक प्रतिष्ठान को निशाना बनाने की कोशिश में है.
ये साफ है कि इन गुटों को पाकिस्तान की मदद हासिल है. उरी की जांच में जुटे एनआईए को फौज ने आतंकियों से बरामद जो सामग्री सौंपी है, उसमें पाकिस्तान के निशाने वाले ब्रुफ़ेन, जूस, ओआरएस और नमकीन हैं. साथ ही पाकिस्तान की करेंसी भी.
बताया जा रहा है कि आतंकियों द्वारा इस्तेमाल जीपीएस सिस्टम को जांच के लिए अमेरिका भेजा जा सकता है क्योंकि इसके कई डेटा मिटाए गए हैं.
ये पहली बार नहीं है जब भारत ने अमेरिका की मदद ली है. उरी से पहले पठानकोठ में और इससे पहली दीना नगर में भी आतंकवादियों ने जीपीएस से डेटा मिटाया था तब भी भारत ने अमेरिका की मदद ली थी. इधर रॉ के मुताबिक़ एक और फ़िदायीन दस्ता घाटी में दाख़िल हो चुका है जिसके चलते पूरी घाटी में रेड अलर्ट घोषित किया गया है.
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