मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया, जिसमें 18 जवान शहीद हो गए हैं। इसमें सेना के एक जेसीओ भी शामिल हैं। हमले में 11 जवान घायल भी हुए हैं। हाल के वर्षों में सेना के इतने जवानों के शहीद होने की यह सबसे बड़ी घटना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे कायराना और दुखद बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मणिपुर में आज किया गया कायराना हमला अंत्यत दुखद है। मैं राष्ट्र के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले हर सैनिक को नमन करता हूं।'
इससे पहले 6 डोगरा रेजीमेंट के जवानों के काफ़िले पर यह हमला सुबह करीब आठ बजे हुआ, जब ये मोलटूक घाटी से लोरंग लौट रहे थे। सूत्रों के मुतबिक पहले सेना के ट्रक पर रॉकेट लॉन्चर से हमला किया गया और गन फायर भी किए गए।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 6 डोगरा रेजीमेंट का एक दल इंफाल से लगभग 80 किलोमीटर दूर तेनगनोउपाल-न्यू समतल रोड पर नियमित गश्ती (आरओपी) पर था। उसी समय एक शक्तिशाली इम्प्रोवाइज्ड एक्सपलोसिव डिवाइस (आईईडी) से एक अज्ञात उग्रवादी संगठन ने घात लगाकर उन पर हमला किया।
सूत्रों के मुताबिक सेना की जवाबी कार्रवाई में पांच उग्रवादी भी मारे गए हैं। सेना के ऑपरेशन के लिए ये इलाका आसान नहीं है, क्योंकि यह पहाड़ी इलाका है और चारों ओर घने जंगल हैं। इस कारण हमला होने पर भी जबाबी कार्रवाई तुरंत नहीं हो सकी। खबर है कि बड़ी मुश्किल से से इस इलाके से मारे गए जवानों के शव निकाले गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे कायराना और दुखद बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मणिपुर में आज किया गया कायराना हमला अंत्यत दुखद है। मैं राष्ट्र के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले हर सैनिक को नमन करता हूं।'
इससे पहले 6 डोगरा रेजीमेंट के जवानों के काफ़िले पर यह हमला सुबह करीब आठ बजे हुआ, जब ये मोलटूक घाटी से लोरंग लौट रहे थे। सूत्रों के मुतबिक पहले सेना के ट्रक पर रॉकेट लॉन्चर से हमला किया गया और गन फायर भी किए गए।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 6 डोगरा रेजीमेंट का एक दल इंफाल से लगभग 80 किलोमीटर दूर तेनगनोउपाल-न्यू समतल रोड पर नियमित गश्ती (आरओपी) पर था। उसी समय एक शक्तिशाली इम्प्रोवाइज्ड एक्सपलोसिव डिवाइस (आईईडी) से एक अज्ञात उग्रवादी संगठन ने घात लगाकर उन पर हमला किया।
सूत्रों के मुताबिक सेना की जवाबी कार्रवाई में पांच उग्रवादी भी मारे गए हैं। सेना के ऑपरेशन के लिए ये इलाका आसान नहीं है, क्योंकि यह पहाड़ी इलाका है और चारों ओर घने जंगल हैं। इस कारण हमला होने पर भी जबाबी कार्रवाई तुरंत नहीं हो सकी। खबर है कि बड़ी मुश्किल से से इस इलाके से मारे गए जवानों के शव निकाले गए।
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