LoC पर हालात को लेकर महत्वपूर्ण बैठक के बाद DGMO ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
नई दिल्ली:
विदेश और रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे संघर्ष विराम उल्लंघन को लेकर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने बताया, सेना ने सीमा पार से ज्यादातर घुसपैठ नाकाम की. उन्होंने कहा, कल रात (बुधवार रात) हमने एलओसी पर आतंकी गुटों के लॉन्च पैड पर सर्जिकल ऑपरेशन किया. उन्होंने कहा कि लगातार हो रही घुसपैठ चिंता का विषय है. इस सर्जिकल हमले में आतंकवादियों को भारी नुकसान पहुंचा है और अनेक आतंकवादी मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले ही पाकिस्तान को बता दिया गया था.
लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा, "भारत नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से आतंकवादियों को देश में घुसने और हमला करने की इजाजत नहीं दे सकता." उन्होंने कहा, "मैंने पाकिस्तान के डीजीएमओ से बात की और हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान सेना आतंकवाद को समाप्त करने के लिए हमारे साथ सहयोग करेगी. ये हमले विश्वसनीय सूचना के आधार पर किए गए. फिलहाल आगे ऐसे और हमले करने की योजना नहीं है. (हमारी शांति की इच्छा को कमजोरी न समझा जाए : सर्जिकल ऑपरेशन पर शरीफ)
सेना द्वारा आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए अचानक की गई इस कार्रवाई के बारे में जानकारीसैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में दी. संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप भी मौजूद थे.
इससे पहले, तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दो फैसले लिए गए. पहला, पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे को लेकर होने वाली समीक्षा बैठक अगले हफ्ते तक के लिए टालने का और दूसरा फैसला, पीएम मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक करने का, जिसमें LoC के हालात को लेकर चर्चा की गई.
पीएम नरेंद्र मोदी को वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से विमर्श करना था. यह विमर्श पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्ज को जारी रखने या खत्म करने देने के बाबत होता. डब्ल्यूटीओ बनने के साल भर बाद भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया.
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) के गैट यानी कि जनरल अग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. जिसका अर्थ है कि दोनों देशों को एक दूसरे और अन्य सदस्य देशों को करोबारी लिहाज से तरजीह देने वाले देशों (फेवर्ड ट्रेडिंग पार्टनर्स) के तौर पर ट्रीट करना होगा. साथ ही ऐसा करते समय वे एक दूसरे के प्रति भेदभाव नहीं कर सकते. यदि भारत सरकार पाकिस्तान से यह दर्जा वापस लेती है तो भारत पर इसका असर बेहद कम पड़ेगा. भारत और पाकिस्तान के बीच के द्विपक्षीय कारोबार में यह हिस्सा केवल 0.4 फीसदी का है.
(एजेंसियों से भी इनपुट)
लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा, "भारत नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से आतंकवादियों को देश में घुसने और हमला करने की इजाजत नहीं दे सकता." उन्होंने कहा, "मैंने पाकिस्तान के डीजीएमओ से बात की और हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान सेना आतंकवाद को समाप्त करने के लिए हमारे साथ सहयोग करेगी. ये हमले विश्वसनीय सूचना के आधार पर किए गए. फिलहाल आगे ऐसे और हमले करने की योजना नहीं है. (हमारी शांति की इच्छा को कमजोरी न समझा जाए : सर्जिकल ऑपरेशन पर शरीफ)
सेना द्वारा आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए अचानक की गई इस कार्रवाई के बारे में जानकारीसैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में दी. संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप भी मौजूद थे.
इससे पहले, तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दो फैसले लिए गए. पहला, पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे को लेकर होने वाली समीक्षा बैठक अगले हफ्ते तक के लिए टालने का और दूसरा फैसला, पीएम मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक करने का, जिसमें LoC के हालात को लेकर चर्चा की गई.
पीएम नरेंद्र मोदी को वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से विमर्श करना था. यह विमर्श पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्ज को जारी रखने या खत्म करने देने के बाबत होता. डब्ल्यूटीओ बनने के साल भर बाद भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया.
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) के गैट यानी कि जनरल अग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. जिसका अर्थ है कि दोनों देशों को एक दूसरे और अन्य सदस्य देशों को करोबारी लिहाज से तरजीह देने वाले देशों (फेवर्ड ट्रेडिंग पार्टनर्स) के तौर पर ट्रीट करना होगा. साथ ही ऐसा करते समय वे एक दूसरे के प्रति भेदभाव नहीं कर सकते. यदि भारत सरकार पाकिस्तान से यह दर्जा वापस लेती है तो भारत पर इसका असर बेहद कम पड़ेगा. भारत और पाकिस्तान के बीच के द्विपक्षीय कारोबार में यह हिस्सा केवल 0.4 फीसदी का है.
(एजेंसियों से भी इनपुट)
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