नई दिल्ली:
सेना प्रमुख और सरकार के बीच आज विवाद उस समय और अधिक गहरा गया जब रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि जनरल वी के सिंह द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गए पत्र के लीक होने के मामले में ‘समुचित कार्रवाई’ की जाएगी। इस बीच, संसद में राजनीतिक दलों के नेताओं ने सेना प्रमुख को बर्खास्त करने की मांग की।
राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं ने मीडिया में सेना प्रमुख का पत्र लीक होने को गंभीर मामला बताते हुए कहा कि सरकार को इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, भले ही वह किसी भी पद पर बैठे हों।
सदस्यों की इन चिंताओं के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने इन टिप्पणियों को गंभीरता से लिया है तथा प्रधानमंत्री और सहयोगियों से विचार-विमर्श कर हम उपयुक्त कार्रवाई करेंगे।’’ रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इस बात की पुष्टि की कि सेना प्रमुख ने 12 मार्च को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उनका ध्यान देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की ओर आकृष्ट किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये मुद्दे रक्षा मंत्रालय के विचाराधीन हैं। लेकिन इन मुद्दों के स्वरूप को देखते हुए इन्हें सार्वजनिक बहस का मामला नहीं बनाया जा सकता।’’ गौरतलब है कि एंटनी ने आज इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। इस दौरान गृह मंत्री पी चिदंबरम और रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा मौजूद थे।
एक समाचार पत्र की खबर के अनुसार, सेना प्रमुख ने अपने पत्र में दावा किया कि देश के संपूर्ण टैंक दस्ते में गोलाबारूद की भारी कमी है। वायु रक्षा प्रणाली 97 फीसदी पुरानी पड़ चुकी है। तोपखाना में खामीयुक्त हथियार हैं तथा रात्रि के दौरान लड़ाई में काम वाले उपकरणों की कमी है। जनरल सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि खरीद की प्रक्रियाओं और प्रस्तावों पर विचार करने में खोखलापन है तथा हथियार विक्रेताओं के लिए कई कानूनी अड़चनें हैं।
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने पत्र के मीडिया में लीक होने पर चिंता जताते हुए कहा कि गोपनीय समझे जाने वाले मामलों को मीडिया में लीक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह के लीकेज को अनुमति दी गई तो यह कहने का कोई मतलब नहीं रह जाता कि इस तरह के मामलों पर कटुतापूर्ण बहस नहीं होनी चाहिए। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि सेना प्रमुख द्वारा प्रधानमंत्री को देश की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामले पर लिए गए एक पत्र का लीक होना बेहद चिंता का विषय है और इसकी जांच होनी चाहिए।
उन्होनें कहा कि लीकेज के जिम्मेदार लोग को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और यह करते समय इस बात को नहीं देखा जाना चाहिए कि वह रक्षा प्रतिष्ठान या नागरिक प्रशासन में किस पद पर बैठा है। बीजद के प्यारी मोहन महापात्र ने कहा कि सरकार को फौरन कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘जांच की कोई गुंजाइश नहीं है। जो भी करना है उसे दिनों में नहीं घंटों में करना चाहिए।’’ महापात्र ने यह भी कहा कि जिन लोगों को बर्खास्त किया जाना है उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 बी और सी के तहत तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।
पूर्व में भारतीय सेना के राजनीति से दूर रहने की बात की ओर ध्यान दिलाते हुए जदयू के शिवानंद तिवारी ने कहा कि यदि इस तरह की बातों को होने की इजाजत दी गई तो इससे गलत तस्वीर पेश होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए थे। इससे पूर्व प्रश्नकाल में उन्होंने यह मामला उठाते हुए मांग की थी कि सेना प्रमुख को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
सदस्यों को आश्वासन देते हुए रक्षामंत्री एंटनी ने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के मकसद से हर आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार इस बात को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी कि हमारे सुरक्षा बल दुनिया के सर्वोत्तम लड़ाकू बल बन सकें। विपक्ष के नेताओं के प्रति कृतज्ञता जताते हुए एंटनी ने कहा कि वह विपक्ष के नेताओं की टिप्पणियां सुनकर ‘‘बेहद खुश’’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे देश के लिए महान सम्मान की बात है। हमारे बीच भले ही कोई भी मतभेद हो लेकिन जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो हम एक हो जाते हैं।’’
उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया कि सरकार खरीद प्रक्रिया की खामियों को दुरस्त करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। एंटनी ने कहा कि खरीद का काम समन्वित करार के जरिए किया जा रहा है। इस करार को तीन साल पहले लागू किया गया है। इसके तहत 100 करोड़ रुपये तक के ठेके आते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार अखंडता और पारदर्शिता से समझौता करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ेगी तथा भले कोई भी जिम्मेदार हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी मातृभूमि की प्रत्येक इंच की रक्षा करेंगे।’’
राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं ने मीडिया में सेना प्रमुख का पत्र लीक होने को गंभीर मामला बताते हुए कहा कि सरकार को इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, भले ही वह किसी भी पद पर बैठे हों।
सदस्यों की इन चिंताओं के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने इन टिप्पणियों को गंभीरता से लिया है तथा प्रधानमंत्री और सहयोगियों से विचार-विमर्श कर हम उपयुक्त कार्रवाई करेंगे।’’ रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इस बात की पुष्टि की कि सेना प्रमुख ने 12 मार्च को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उनका ध्यान देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की ओर आकृष्ट किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये मुद्दे रक्षा मंत्रालय के विचाराधीन हैं। लेकिन इन मुद्दों के स्वरूप को देखते हुए इन्हें सार्वजनिक बहस का मामला नहीं बनाया जा सकता।’’ गौरतलब है कि एंटनी ने आज इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। इस दौरान गृह मंत्री पी चिदंबरम और रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा मौजूद थे।
एक समाचार पत्र की खबर के अनुसार, सेना प्रमुख ने अपने पत्र में दावा किया कि देश के संपूर्ण टैंक दस्ते में गोलाबारूद की भारी कमी है। वायु रक्षा प्रणाली 97 फीसदी पुरानी पड़ चुकी है। तोपखाना में खामीयुक्त हथियार हैं तथा रात्रि के दौरान लड़ाई में काम वाले उपकरणों की कमी है। जनरल सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि खरीद की प्रक्रियाओं और प्रस्तावों पर विचार करने में खोखलापन है तथा हथियार विक्रेताओं के लिए कई कानूनी अड़चनें हैं।
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने पत्र के मीडिया में लीक होने पर चिंता जताते हुए कहा कि गोपनीय समझे जाने वाले मामलों को मीडिया में लीक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह के लीकेज को अनुमति दी गई तो यह कहने का कोई मतलब नहीं रह जाता कि इस तरह के मामलों पर कटुतापूर्ण बहस नहीं होनी चाहिए। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि सेना प्रमुख द्वारा प्रधानमंत्री को देश की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामले पर लिए गए एक पत्र का लीक होना बेहद चिंता का विषय है और इसकी जांच होनी चाहिए।
उन्होनें कहा कि लीकेज के जिम्मेदार लोग को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और यह करते समय इस बात को नहीं देखा जाना चाहिए कि वह रक्षा प्रतिष्ठान या नागरिक प्रशासन में किस पद पर बैठा है। बीजद के प्यारी मोहन महापात्र ने कहा कि सरकार को फौरन कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘जांच की कोई गुंजाइश नहीं है। जो भी करना है उसे दिनों में नहीं घंटों में करना चाहिए।’’ महापात्र ने यह भी कहा कि जिन लोगों को बर्खास्त किया जाना है उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 बी और सी के तहत तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।
पूर्व में भारतीय सेना के राजनीति से दूर रहने की बात की ओर ध्यान दिलाते हुए जदयू के शिवानंद तिवारी ने कहा कि यदि इस तरह की बातों को होने की इजाजत दी गई तो इससे गलत तस्वीर पेश होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए थे। इससे पूर्व प्रश्नकाल में उन्होंने यह मामला उठाते हुए मांग की थी कि सेना प्रमुख को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
सदस्यों को आश्वासन देते हुए रक्षामंत्री एंटनी ने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के मकसद से हर आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार इस बात को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी कि हमारे सुरक्षा बल दुनिया के सर्वोत्तम लड़ाकू बल बन सकें। विपक्ष के नेताओं के प्रति कृतज्ञता जताते हुए एंटनी ने कहा कि वह विपक्ष के नेताओं की टिप्पणियां सुनकर ‘‘बेहद खुश’’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे देश के लिए महान सम्मान की बात है। हमारे बीच भले ही कोई भी मतभेद हो लेकिन जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो हम एक हो जाते हैं।’’
उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया कि सरकार खरीद प्रक्रिया की खामियों को दुरस्त करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। एंटनी ने कहा कि खरीद का काम समन्वित करार के जरिए किया जा रहा है। इस करार को तीन साल पहले लागू किया गया है। इसके तहत 100 करोड़ रुपये तक के ठेके आते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार अखंडता और पारदर्शिता से समझौता करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ेगी तथा भले कोई भी जिम्मेदार हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी मातृभूमि की प्रत्येक इंच की रक्षा करेंगे।’’
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