सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग
नई दिल्ली:
आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने पूर्व आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री (रिटायर्ड जनरल) वीके सिंह के खिलाफ संगीन आरोप लगाए हैं.
दलबीर सिंह सुहाग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. व्यक्तिगत रूप से दाखिल इस हलफनामे में कहा है कि वीके सिंह ने बाहरी कारणों के चलते रहस्यमयी तरीके से, दुर्भावनापूर्ण और मनमाने ढंग से सजा देने के लिए प्रमोशन को रोकने की कोशिश की.
सुहाग के हलफनामे में कहा गया है कि 2012 में जनरल वीके सिंह ने आर्मी चीफ रहते समय उन्हें प्रताड़ित किया ताकि वह आर्मी कमांडर न बन सकें. सुहाग का दावा है कि ये रक्षा मंत्रालय की जांच में भी साफ हो चुका है कि उन पर आरोप बेबुनियाद थे.
इससे पहले जून 2014 में सुप्रीम कोर्ट लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग को आर्मी चीफ बनाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने को राजी हो गया था. यह हलफनामा उसी याचिका पर दाखिल किया गया है.
लेफ्टिनेंट जनरल सुहाग, सेना प्रमुख जनरल विक्रम सिंह के रिटायर होने के बाद 1 अगस्त 2014 से नए सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल चुके हैं. लेकिन एक अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि नए सेना प्रमुख का चयन पक्षपातपूर्ण है.
दरअसल जनरल वीके सिंह ने 2012 में सेना प्रमुख के अपने अंतिम दिनों के कार्यकाल के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर अपनी खुफिया इकाई पर 'कमान एवं नियंत्रण रखने' में विफल रहने के लिए 'अनुशासन एवं सतर्कता प्रतिबंध' लगा दिए थे, जो तब तीन कोर के कमांडर थे.
बिक्रम सिंह के सेना प्रमुख बनते ही प्रतिबंध हटा लिए गए थे और सुहाग को पूर्वी सेना का कमांडर नियुक्त किया गया था. रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने से संबंधित पदोन्नति मामले में एक हलफनामे में कहा था कि सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक रोक के लिए जिन खामियों को आधार बनाया गया वे ‘जानबूझकर’, ‘अस्पष्ट’ और ‘अवैध’ थीं.
दलबीर सिंह सुहाग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. व्यक्तिगत रूप से दाखिल इस हलफनामे में कहा है कि वीके सिंह ने बाहरी कारणों के चलते रहस्यमयी तरीके से, दुर्भावनापूर्ण और मनमाने ढंग से सजा देने के लिए प्रमोशन को रोकने की कोशिश की.
सुहाग के हलफनामे में कहा गया है कि 2012 में जनरल वीके सिंह ने आर्मी चीफ रहते समय उन्हें प्रताड़ित किया ताकि वह आर्मी कमांडर न बन सकें. सुहाग का दावा है कि ये रक्षा मंत्रालय की जांच में भी साफ हो चुका है कि उन पर आरोप बेबुनियाद थे.
(जनरल वीके सिंह)
इससे पहले जून 2014 में सुप्रीम कोर्ट लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग को आर्मी चीफ बनाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने को राजी हो गया था. यह हलफनामा उसी याचिका पर दाखिल किया गया है.
लेफ्टिनेंट जनरल सुहाग, सेना प्रमुख जनरल विक्रम सिंह के रिटायर होने के बाद 1 अगस्त 2014 से नए सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल चुके हैं. लेकिन एक अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि नए सेना प्रमुख का चयन पक्षपातपूर्ण है.
दरअसल जनरल वीके सिंह ने 2012 में सेना प्रमुख के अपने अंतिम दिनों के कार्यकाल के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर अपनी खुफिया इकाई पर 'कमान एवं नियंत्रण रखने' में विफल रहने के लिए 'अनुशासन एवं सतर्कता प्रतिबंध' लगा दिए थे, जो तब तीन कोर के कमांडर थे.
बिक्रम सिंह के सेना प्रमुख बनते ही प्रतिबंध हटा लिए गए थे और सुहाग को पूर्वी सेना का कमांडर नियुक्त किया गया था. रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने से संबंधित पदोन्नति मामले में एक हलफनामे में कहा था कि सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक रोक के लिए जिन खामियों को आधार बनाया गया वे ‘जानबूझकर’, ‘अस्पष्ट’ और ‘अवैध’ थीं.
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