नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार से सवाल किया कि कोलेजियम की सिफारिशों के बावजूद वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों का तबादला क्यों नहीं कर रहा है. न्यायालय ने लंबित तबादलों के बारे में विस्तार से दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी केन्द्र को दिया है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसी उच्च न्यायालय में ऐसे न्यायाधीशों का निरंतर बने रहना अटकलों और भ्रम को जन्म देता है. न्यायालय ने कहा कि इन सिफारिशों पर बैठे रहने की बजाय केन्द्र को इन पर पुनर्विचार के लिए इन्हें कोलेजियम को लौटा देना चाहिए.
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि तबादला होने के बावजूद ऐसे न्यायाधीशों का उन्हीं उच्च न्यायालयों में बने रहना अटकलों और भ्रम को जन्म देता है. यदि केन्द्र सरकार को इन सिफारिशों से किसी प्रकार की परेशानी है तो उन्हें हमें वापस भेज दीजिए. वे उन पर गौर करेंगे. इन सिफारिशों पर बैठे रहने का कोई औचित्य नहीं है.
न्यायमूर्ति ठाकुर मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वह उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्तियों को लेकर लगातार केन्द्र सरकार से सवाल करते रहे हैं और इस मुद्दे पर दोनों में टकराव की स्थिति बनी हुई है.
अटार्नी जनरल ने कहा कि कोलेजियम ने 37 न्यायाधीशों के नाम सरकार के पास वापस भेजे हैं जिन पर गौर किया जा रहा है.
इस पर पीठ ने सवाल किया कि न्यायाधीशों के तबादले का क्या हुआ जिनके बारे में कोलेजियम ने सिफारिश की थी? आप इन पर दस महीने से भी अधिक समय से बैठे हैं. इस पर रोहतगी ने कहा कि उन्हें तबादलों की सिफारिशें लंबित होने के बारे में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता है और इसके लिये तीन सप्ताह का वक्त चाहिए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसी उच्च न्यायालय में ऐसे न्यायाधीशों का निरंतर बने रहना अटकलों और भ्रम को जन्म देता है. न्यायालय ने कहा कि इन सिफारिशों पर बैठे रहने की बजाय केन्द्र को इन पर पुनर्विचार के लिए इन्हें कोलेजियम को लौटा देना चाहिए.
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि तबादला होने के बावजूद ऐसे न्यायाधीशों का उन्हीं उच्च न्यायालयों में बने रहना अटकलों और भ्रम को जन्म देता है. यदि केन्द्र सरकार को इन सिफारिशों से किसी प्रकार की परेशानी है तो उन्हें हमें वापस भेज दीजिए. वे उन पर गौर करेंगे. इन सिफारिशों पर बैठे रहने का कोई औचित्य नहीं है.
न्यायमूर्ति ठाकुर मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वह उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्तियों को लेकर लगातार केन्द्र सरकार से सवाल करते रहे हैं और इस मुद्दे पर दोनों में टकराव की स्थिति बनी हुई है.
अटार्नी जनरल ने कहा कि कोलेजियम ने 37 न्यायाधीशों के नाम सरकार के पास वापस भेजे हैं जिन पर गौर किया जा रहा है.
इस पर पीठ ने सवाल किया कि न्यायाधीशों के तबादले का क्या हुआ जिनके बारे में कोलेजियम ने सिफारिश की थी? आप इन पर दस महीने से भी अधिक समय से बैठे हैं. इस पर रोहतगी ने कहा कि उन्हें तबादलों की सिफारिशें लंबित होने के बारे में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता है और इसके लिये तीन सप्ताह का वक्त चाहिए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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