थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे आज एन्टी सबमरीन युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती नौसेना को सौपेंगे. विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में आज उसे शामिल किया जाएगा.इस युद्धपोत को कोलकाता के गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने बनाया है और नेवी के डायरेक्टॉरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने डिजाइन किया है. युद्धपोत में 90 फीसदी देशी उपकरण लगाए गए हैं. इस युद्धपोत में ऐसे सेंसर लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने के साथ-साथ उनका पीछा करने में सक्षम हैं. साथ ही यह आसानी से राडार की पकड़ में नही आ पाता है.
आईएनएस कवरत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति दिलवाने वाले अभियान में अहम रोल निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर रखा गया है. वैसे लक्षद्वीप की राजधानी का नाम भी कवरत्ती ही है. इसकी लंबाई 109 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है. इसमे 4B डीजल इंजन लगे हैं. इसका वजन 3250 टन है. नौसेना में इसके शामिल हो जाने से नेवी की ताकत काफी बढ़ जाएगी क्योंकि यह परमाणु ,रासायनिक और जैविक हालात में भी काम कर पाने में सक्षम है.
आईएनएस कवरत्ती में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली लगे हुए हैं. पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता के अलावा, इस युद्धपोत को एक विश्वसनीय सेल्फ डिफेंस क्षमता से भी लैस किया गया है. यह लंबी दूरी के समुद्री ऑपरेशन में कारगर है. यह प्रोजेक्ट-28 के तहत स्वदेश में निर्मित चार पनडुब्बी रोधी जंगी स्टील्थ पोत में से आखिरी जहाज है. इससे पहले ही तीन युद्धपोत भारतीय नौसेना को सौंपे जा चुके हैं.
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