उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम की सोमवार रात गिरफ्तारी के बाद लखनऊ में हज़रतगंज थाने में नारेबाजी कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. शाहनवाज़ को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी (CAA /NRC) के खिलाफ 19 दिसंबर को लखनऊ में हुई हिंसा के मामले में नामजद किया गया है. शाहनवाज़ आलम की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा के नेतृत्व में कांग्रेसी हज़रतगंज थाने पहुंचे थे. वे अंदर पुलिस से बातचीत कर रहे थे तभी बाहर कुछ कार्यकर्ताओं के नारे लगाने पर पुलिस ने उनके ऊपर लाठीचार्ज कर दिया.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिसंबर 2019 में लखनऊ में प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शन के हिंसात्मक होने के बाद 19 दिसंबर को एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे.
सीसीटीवी कैमरे में पुलिसकर्मी आलम को पुलिस जीप में डालते हुए नजर आ रहे हैं. 37 वर्षीय आलम को इस साल जनवरी में यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल का अध्यक्ष बनाया गया था. कहा जाता है कि वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के करीबी और मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले हैं.
कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता जनता के मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भाजपा सरकार यूपी पुलिस को दमन का औज़ार बनाकर दूसरी पार्टियों को आवाज उठाने से रोक सकती है, हमारी पार्टी को नहीं।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 30, 2020
देखिए किस तरह यूपी पुलिस ने हमारे अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष को रात के अंधेरे..1/2 pic.twitter.com/UCyyuwYfQJ
कांग्रेस नेता की गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की अगुवाई कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव किया और थाने के अंदर नारेबाजी की. जिसकी वजह से पुलिस लाठीचार्ज करना पड़ा.
लखनऊ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी दिनेश सिंह ने कहा, "पूरी जांच-पड़ताल के बाद हमने आलम को गिरफ्तार किया है. परिवर्तन चौक पर सीएए विरोधी प्रदर्शन में हिंसा को लेकर की जांच में उनका नाम सामने आया है. हम तभी किसी को गिरफ्तार करते हैं जब हमारे पास उसके खिलाफ सबूत हो."
इस मामले पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- "कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता जनता के मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. भाजपा सरकार यूपी पुलिस को दमन का औज़ार बनाकर दूसरी पार्टियों को आवाज उठाने से रोक सकती है, हमारी पार्टी को नहीं. देखिए किस तरह यूपी पुलिस ने हमारे अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष को रात के अंधेरे में उठाया. पहले फर्जी आरोपों को लेकर हमारे प्रदेश अध्यक्ष को चार हफ़्तों के लिए जेल में रखा. ये पुलिसिया कार्रवाई दमनकारी और आलोकतांत्रिक है. कांग्रेस के सिपाही पुलिस की लाठियों और फर्जी मुकदमों से नहीं डरने वाले."
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