गति धीबर अपनी पांच साल की बेटी का शव लेकर एक किलोमीटर पैदल चले
अंगुल:
ओडिशा के अंगुल जिले में गति धीबर अपनी पांच साल की बेटी का शव लेकर अस्पताल से बाहर निकले और एक किलोमीटर तक उन्हें ऐसी कोई मदद नहीं मिली जो उन्हें उनके गांव तक छोड़ पाती. बेटी का शव कंधे पर लादे लगातार एक घंटे तक पैदल चलते हुए धीबर को रास्ते में कई लोगों ने देखा, अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया और याद किया कालाहांडी के दाना माझी को जो पिछले साल इसी तरह अपनी मदद न मिलने पर पत्नी का शव लेकर लगातार 10 किलोमीटर तक चले थे.
बता दें कि ओडिशा में महाप्रायण योजना के तहत मुफ्त शव वाहन सेवा गरीबों को उपलब्ध करवाई जाती है लेकिन ऐसे वाहन ज्यादातर जिला अस्पताल के बाहर मिलते हैं, न कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर. यह सेवा इसलिए दी जाती है ताकि वे परिवार जो शव वाहन की सुविधा के खर्चे को उठाने में समर्थ नहीं हैं, वह भी अपने परिवार के सदस्य के शव का सम्मानजनक रूप से अंतिम संस्कार कर पाएं.
धीबर भी कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के बाहर अपनी बेटी सुमी को कंधे पर लादे निकले, उन्होंने इस बारे में अधिकारियों को सूचित नहीं किया लेकिन प्रशासन से भी अपनी ओरे से जिम्मेदारी निभाने में चूक हो गई. पल्लाहारा कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के पास सरकारी योजना के तहत शव वाहन नहीं है और वह जिला अस्पताल से ही गाड़ी मंगवाती है. जिला अधिकारियों का कहना है कि अगर धीबर इंतज़ार कर लेते तो उन्हें शव वाहन जरूर मुहैया करवाया जाता.
प्रशासन का कहना है कि आमतौर पर स्थानीय वाहनों से ही शव को ले जाया जाता है और उसका पैसा तुरंत ही आदिवासियों को रेड क्रॉस के जरिए दे दिया जाता है. इस मामले में अस्पताल के दो स्टाफ सदस्यों को लापरवाही के चलते हटा दिया गया है जिसमें एक जूनियर मैनेजर और सुरक्षा कर्मचारी है जिन्हें धीबर को शव को बाहर ले जाने से रोकना चाहिए था. वहीं सब डिविज़्नल मेडिकल अधिकारी से भी पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की जाए.
जिला कलेक्टर अनिल कुमार समल ने NDTV से कहा 'हमने ऐसी सुविधा दे रखी है ताकि मृतक के साथ सम्मानजनक तरीके से पेश आया जाए. जहां ऐसा नहीं हुआ है वहां कार्यवाही जरूर की जाएगी.'
बता दें कि ओडिशा में महाप्रायण योजना के तहत मुफ्त शव वाहन सेवा गरीबों को उपलब्ध करवाई जाती है लेकिन ऐसे वाहन ज्यादातर जिला अस्पताल के बाहर मिलते हैं, न कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर. यह सेवा इसलिए दी जाती है ताकि वे परिवार जो शव वाहन की सुविधा के खर्चे को उठाने में समर्थ नहीं हैं, वह भी अपने परिवार के सदस्य के शव का सम्मानजनक रूप से अंतिम संस्कार कर पाएं.
धीबर भी कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के बाहर अपनी बेटी सुमी को कंधे पर लादे निकले, उन्होंने इस बारे में अधिकारियों को सूचित नहीं किया लेकिन प्रशासन से भी अपनी ओरे से जिम्मेदारी निभाने में चूक हो गई. पल्लाहारा कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के पास सरकारी योजना के तहत शव वाहन नहीं है और वह जिला अस्पताल से ही गाड़ी मंगवाती है. जिला अधिकारियों का कहना है कि अगर धीबर इंतज़ार कर लेते तो उन्हें शव वाहन जरूर मुहैया करवाया जाता.
प्रशासन का कहना है कि आमतौर पर स्थानीय वाहनों से ही शव को ले जाया जाता है और उसका पैसा तुरंत ही आदिवासियों को रेड क्रॉस के जरिए दे दिया जाता है. इस मामले में अस्पताल के दो स्टाफ सदस्यों को लापरवाही के चलते हटा दिया गया है जिसमें एक जूनियर मैनेजर और सुरक्षा कर्मचारी है जिन्हें धीबर को शव को बाहर ले जाने से रोकना चाहिए था. वहीं सब डिविज़्नल मेडिकल अधिकारी से भी पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की जाए.
जिला कलेक्टर अनिल कुमार समल ने NDTV से कहा 'हमने ऐसी सुविधा दे रखी है ताकि मृतक के साथ सम्मानजनक तरीके से पेश आया जाए. जहां ऐसा नहीं हुआ है वहां कार्यवाही जरूर की जाएगी.'
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