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This Article is From Apr 18, 2011

अन्ना ने सोनिया को लिखी चिट्ठी

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अन्ना ने चिट्ठी में दिग्विजय सिंह और कपिल सिब्बल के बयानों पर सवाल उठाए हैं और सोनिया से पूछा है कि क्या वह उनके बयानों का समर्थन करती हैं।
New Delhi: लोकपाल बिल की ड्राफ्टिंग कमेटी में शामिल सिविल सोसायटी के सदस्यों के बारे में पिछले दो दिन से जारी खुलासों से परेशान होकर अन्ना हजारे ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिखी है। अन्ना ने अपनी चिट्ठी में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और कपिल सिब्बल के बयानों पर सवाल उठाए हैं। अपनी चिट्ठी में अन्ना हजारे ने लिखा है, पिछले दो दिन में जो कुछ हुआ है, वह चिंता का विषय है। ऐसा लगता है कि देश के भ्रष्ट लोग बिल ड्राफ्ट करने की प्रक्रिया को रोकना चाहते हैं। कांग्रेस के एक महासचिव बार−बार बयान दे रहे हैं और मुझे लगता है कि उन्हें पार्टी का समर्थन मिला हुआ है। कांग्रेस महासचिव के ज्यादातर बयान सही नहीं हैं। अन्ना ने सोनिया से पूछा है कि क्या वह उनके बयानों का समर्थन करती हैं। अन्ना ने अपनी चिट्ठी में कपिल सिब्बल के बयान पर भी सवाल उठाए हैं। अन्ना ने लिखा है कि पहली मीटिंग के बाद एक मंत्री ने बयान दिया कि मीटिंग अच्छी रही, लेकिन बाद में यह भी कह दिया कि सिविल सोसायटी सरकार के सामने घुटने टेक रही है।पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने संयुक्त समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण पर इलाहाबाद में एक भूखंड खरीदने पर कम स्टाम्प ड्यूटी देने के आरोप लगाए थे और समिति में समाज की ओर से शामिल आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल को अरुणा रॉय का चेला कहा था। हजारे ने संयुक्त समिति में समाज की ओर से शामिल सदस्यों पर कीचड़ उछाले जाने वाले बयानों पर चिंता जताते हुए पत्र में सवाल किया, अगर समिति में सरकार की ओर से नामित लोगों पर भी इसी तरह से संदेह जताया जायेगा तो उसके क्या नतीजे होंगे? हालांकि, हम व्यक्तिगत तौर पर कीचड़ उछालकर लोकपाल विधेयक से लोगों का ध्यान नहीं भटकाना चाहते। उन्होंने कहा कि लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि (समिति में समाज की ओर से शामिल सदस्यों के खिलाफ) इस तरह का दुष्प्रचार अभियान चलाने के पीछे मकसद लांछन लगाना ही है। हजारे ने कहा कि संयुक्त समिति की पहली बैठक के बाद एक मंत्री ने अपने निवास पर पत्रकारों से निजी और अनौपचारिक बातचीत में हम पर यह झूठा आरोप लगाया कि हम समिति के भीतर सरकार के दबाव के आगे झुक गए हैं और हमने प्रस्तावित कानून के मसौदे को हल्का कर दिया है। उन्होंने कहा, यह बात पूरी तरह से गलत है, क्योंकि समिति में प्रस्तावित कानून को लेकर कोई चर्चा हुई ही नहीं थी। हजारे ने कहा, हमें ऐसे शरारतपूर्ण आचरण की आशंका थी, इसलिए मांग की थी कि समिति की हर बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग हो और बैठक के तुरंत बाद उसे जारी किया जाए। पत्र में गांधीवादी कार्यकर्ता ने लिखा, हम इस उम्मीद के साथ समिति में शामिल हुए हैं कि मजबूत भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक के मसौदे को मिलकर तैयार किया जाएगा।(इनपुट भाषा से भी)

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