नई दिल्ली:
टीम अन्ना और संसद सदस्यों में टकराव की स्थिति के बीच अन्ना हजारे ने मंगलवार को एक बार फिर नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि इस तरह का रवैया संविधान का अपमान है कि ‘आप हमसे सवाल पूछने वाले कौन होते हो।’ हजारे ने अपने ताजा ब्लॉग में संसद के खिलाफ होने की आलोचनाओं को दरकिनार करने का प्रयास करते हुए कहा कि केवल संसद ही कानून बना सकती है , इस बात में कतई संदेह नहीं है।
‘नेता कुछ सवाल उठाते हैं और मेरा उन्हें जवाब’ शीर्षक से इस ब्लॉग में हजारे ने कहा कि संसद में लोकपाल विधेयक आठ बार आया लेकिन बाधाओं को पार नहीं कर सका।
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस देश की मालिक जनता है और उन्होंने अपने सेवकों को संसद में भेजा है। जब सेवक कानून नहीं बनाते तो मालिकों को उनसे पूछने का हक है कि जन लोकपाल विधेयक पारित क्यों नहीं किया गया।’
हजारे ने कहा, ‘सांसद और नौकरशाह जनता के सेवक हैं। लेकिन उनका यह रवैया संविधान का अपमान है कि ‘आप हमसे सवाल पूछने वाले कौन होते हो’।’ अन्ना हजारे ने यह ब्लॉग ऐसे वक्त में लिखा है जब संसद में पार्टी लाइन से हटकर सभी सांसदों ने उनकी तथा उनकी टीम की निंदा की है।
74 वर्षीय हजारे ने कहा कि अंग्रेज अपने हितों को साधने और देश को लूटने के लिए कानून बनाते थे।
उन्होंने कहा, ‘अब भारत लोकतांत्रिक देश है। यदि आप कानून बनाना चाहते हैं तो आपको कानून बनाते समय अनुभवी लोगों को रखना होगा। उसके बाद यह संसद में जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि राजनीति में लोग इसे समझते हैं।’
‘नेता कुछ सवाल उठाते हैं और मेरा उन्हें जवाब’ शीर्षक से इस ब्लॉग में हजारे ने कहा कि संसद में लोकपाल विधेयक आठ बार आया लेकिन बाधाओं को पार नहीं कर सका।
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस देश की मालिक जनता है और उन्होंने अपने सेवकों को संसद में भेजा है। जब सेवक कानून नहीं बनाते तो मालिकों को उनसे पूछने का हक है कि जन लोकपाल विधेयक पारित क्यों नहीं किया गया।’
हजारे ने कहा, ‘सांसद और नौकरशाह जनता के सेवक हैं। लेकिन उनका यह रवैया संविधान का अपमान है कि ‘आप हमसे सवाल पूछने वाले कौन होते हो’।’ अन्ना हजारे ने यह ब्लॉग ऐसे वक्त में लिखा है जब संसद में पार्टी लाइन से हटकर सभी सांसदों ने उनकी तथा उनकी टीम की निंदा की है।
74 वर्षीय हजारे ने कहा कि अंग्रेज अपने हितों को साधने और देश को लूटने के लिए कानून बनाते थे।
उन्होंने कहा, ‘अब भारत लोकतांत्रिक देश है। यदि आप कानून बनाना चाहते हैं तो आपको कानून बनाते समय अनुभवी लोगों को रखना होगा। उसके बाद यह संसद में जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि राजनीति में लोग इसे समझते हैं।’
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