नई दिल्ली:
दिल्ली के तिवारी भवन में अन्ना हजारे से मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने साफ किया उनके और अन्ना के बीच किसी भी तरह के विवाद की बात बेबुनियाद है और वह अन्ना के हर आंदोलन में उनके साथ हैं, लेकिन उनके बयान से यह भी साफ हो गया कि केजरीवाल को राजनैतिक पार्टी बनाने के मसले पर अन्ना का साथ नहीं मिला है। केजरीवाल ने कहा कि उनकी राहें भले ही जुदा हों, लेकिन मंजिल एक है। केजरीवाल 2 अक्टूबर को अपनी राजनैतिक पार्टी के बारे में कुछ अहम ऐलान कर सकते हैं। इस बीच केजरीवाल और सिसौदिया के मिलने के तुरंत बाद अन्ना से मिलने किरण बेदी भी पहुंची।
उधर, अन्ना हजारे ने भी दिल्ली में एक नई टीम बनाने की कवायद शुरू कर दी है। वह आज दिल्ली में रिटायर्ड सेना के अधिकारियों, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से बात करेंगे और इसके बाद वे अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।
वैसे, एक दिन पहले ही अन्ना अपने ब्लॉग पर इशारों-इशारों में केजरीवाल पर निशाना साधते हुए लिख चुके थे कि राजनीति से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नुकसान हो रहा था। ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि कुछ लोगों ने कहा था कि अन्ना कह दें तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन फिर भी लड़ रहे हैं और आंदोलन पर असर पड़ा है, क्योंकि कुछ लोग सियासी राह पर चलना चाहते हैं। अन्ना के साथ अब टीम अन्ना तो रही नहीं, लेकिन नई टीम बनती नजर आती है। किरण बेदी जैसे कुछ पुराने चेहरे जरूर साथ हैं।
अन्ना और केजरीवाल के रिश्तों के बारे में बात करें तो केजरीवाल अपनी लड़ाई अलग लड़ रहे हैं हालांकि वह अभी तक कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार करते रहे हैं, लेकिन तहलका को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कह दिया कि सियासी पार्टी अन्ना बनाना चाहते थे। एनडीटीवी को पता चला है कि टीम केजरीवाल यह नहीं मानती कि राजनीति से आंदोलन को नुकसान हुआ है। उसे लगता है कि केजरीवाल और अन्ना के बीच की दरार से भ्रष्टाचार मुहिम को ठेस पहुंची है। अब यह बात पक्की है कि केजरीवाल पार्टी बनाएंगे, लेकिन अन्ना के नाम और साथ के बिना उनकी मुहिम कितनी कामयाब होगी इसकी फिक्र केजरीवाल समर्थकों को भी जरूर होगी। सिर्फ जलते हुए मुद्दे ही काफी नहीं होंगे।
उधर, अन्ना हजारे ने भी दिल्ली में एक नई टीम बनाने की कवायद शुरू कर दी है। वह आज दिल्ली में रिटायर्ड सेना के अधिकारियों, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से बात करेंगे और इसके बाद वे अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।
वैसे, एक दिन पहले ही अन्ना अपने ब्लॉग पर इशारों-इशारों में केजरीवाल पर निशाना साधते हुए लिख चुके थे कि राजनीति से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नुकसान हो रहा था। ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि कुछ लोगों ने कहा था कि अन्ना कह दें तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन फिर भी लड़ रहे हैं और आंदोलन पर असर पड़ा है, क्योंकि कुछ लोग सियासी राह पर चलना चाहते हैं। अन्ना के साथ अब टीम अन्ना तो रही नहीं, लेकिन नई टीम बनती नजर आती है। किरण बेदी जैसे कुछ पुराने चेहरे जरूर साथ हैं।
अन्ना और केजरीवाल के रिश्तों के बारे में बात करें तो केजरीवाल अपनी लड़ाई अलग लड़ रहे हैं हालांकि वह अभी तक कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार करते रहे हैं, लेकिन तहलका को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कह दिया कि सियासी पार्टी अन्ना बनाना चाहते थे। एनडीटीवी को पता चला है कि टीम केजरीवाल यह नहीं मानती कि राजनीति से आंदोलन को नुकसान हुआ है। उसे लगता है कि केजरीवाल और अन्ना के बीच की दरार से भ्रष्टाचार मुहिम को ठेस पहुंची है। अब यह बात पक्की है कि केजरीवाल पार्टी बनाएंगे, लेकिन अन्ना के नाम और साथ के बिना उनकी मुहिम कितनी कामयाब होगी इसकी फिक्र केजरीवाल समर्थकों को भी जरूर होगी। सिर्फ जलते हुए मुद्दे ही काफी नहीं होंगे।
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