नई दिल्ली:
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त लोकपाल विधेयक के लिए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा चलाई गई मुहिम शनिवार को सफल होते ही पूरा देश खुशियों से झूम उठा। जनता की आवाज बने अन्ना हजारे के समक्ष सरकार के झुकने पर लोगों ने पटाखे छोड़े और मिठाइयां बांट कर एक दूसरे को मुबारकबाद दी। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक और ट्विटर पर बधाई देने में युवा भी पीछे नहीं रहे। इस कामयाबी को सबकी जीत बताते हुए उन्होंने अपनी राष्ट्रीय भावनाओं को प्रकट करने के साथ ही गांधीवादी अन्ना हजारे की जमकर सराहना की। विदेशों में भी अन्ना हजारे के इस अभियान की प्रशंसा की गई। महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, लखनऊ, शिमला और बेंगलुरू सहित देश के कई शहरों में लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे आम आदमी की जीत बताते हुए अपनी खुशी प्रकट की। इस बीच, लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए बनी संयुक्त समिति के सह अध्यक्ष और पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने शनिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लोकपाल विधेयक संसद के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित होगा। फेसबुक पर कार्तिकेय पुट्टूरैया ने कहा, "अन्ना हजारे दूसरे मोहनदास करमचंद गांधी हैं। हम अन्ना हजारे का समर्थन करते हैं।" दिल्ली के साहिल बंसल ने कहा, "वास्तविक आजादी के लिए लड़ाई शुरू हो चुकी है..।" जबकि कारोबारी राकेश गुप्ता ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय लोगों और लोकतंत्र को जीत दिलाने पर अन्ना हजारे को बधाई दी। ज्ञात हो कि इस बीच ट्विटर पर सरकारविरोधी प्रदर्शन का प्रतीक बन चुके जंतर-मंतर की सर्वाधिक चर्चा हुई। ट्विटर पर ही लखनऊ के पुनीत पवई ने कहा, "भारत के लोगों को बधाई। लड़ाई जीत ली गई है लेकिन अभी और संघर्ष करना है।" इसके अलवा ट्विटर पर लोगों से अन्ना हजारे के समर्थन में ऑन लाइन हस्ताक्षर अभियान चलाने की बात कही गई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त लोकपाल विधेयक का स्वरूप तय करने के लिए एक संयुक्त समिति की मांग सरकार द्वारा मान लेने और विधेयक को संसद के मानसूत्र में पेश करने के आश्वासन के बाद देश भर में उत्साह का माहौल है। गांधीवादी अन्ना हजारे के समर्थन में लखनऊ विश्वविद्यालय के झूलेलाल पार्क में गत पांच अप्रैल से आमरण अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश सक्सेना, इंदू सिंह और मुन्ना लाल ने शनिवार को अपना अनशन तोड़ दिया। उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार (आरटीआई) परिषद के संयोजक सक्सेना ने पत्रकारों से कहा, "यह समय उत्सव मनाने का है..हमने सरकार को जनता की ताकत का अहसास करा दिया है।" अन्ना हजारे द्वारा चार दिनों से जारी अपना अनशन तोड़ने पर पूरे गुजरात में जश्न का माहौल बन गया। लोगों ने पटाखे छोड़े और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। गुजरात में 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' का संयोजन करने वाले विनोद पांड्या ने कहा कि आम आदमी की इस जीत पर पूरा राज्य खुशियां मना रहा है। उन्होंने बताया कि इस जीत की खुशी में शनिवार शाम को सूरत, बड़ोदरा, जामनगर और जूनागढ़ में जुलूस निकाले जाएंगे। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने शनिवार को लोगों में मिठाइयां बांट अपनी खुशी प्रकट की। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) आशादीप के अध्यक्ष सुशील तंवर ने कहा कि यह आम आदमी की जीत है। भुवनेश्वर में अन्ना हजार के समर्थन में आमरण आनशन पर बैठे दो सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपना अनशन समाप्त किया। अनशन तोड़ने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता भबानी परीजा ने कहा, "यह लोगों की जीत है। उड़ीसा जन सम्मिलनी (ओजीएस) के अध्यक्ष रवि दास ने कहा, "हम संतुष्ट हैं। सरकार को मांगें माननी पड़ीं।" अन्ना हजारे के समर्थन में बेंगलुरू के फ्रीडम पार्क में आमरण अनशन पर बैठे चार लोगों ने जूस पीकर अपना अनशन तोड़ा जबकि सैकड़ों लोगों ने इस सफलता को लोगों की जीत बता इसका स्वागत किया। महाराष्ट्र में मुम्बई के आजाद मैदान में अनशन पर बैठे 50 से ज्यादा लोगों के समूह ने भी अन्ना हजारे के साथ ही शनिवार सुबह अपना व्रत समाप्त किया। राज्य के विभिन्न इलाकों में इस आंदोलन की सफलता की खुशियां मनाई जा रही हैं। लोग एक-दूसरे के गले लगकर बधाईयां दे रहे हैं। अहमदनगर जिले के रालेगान-सिद्धी गांव के निवासी भी अन्ना हजारे की जीत का जश्न मना रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार पर ईमानदारी की जीत है। शुक्रवार से भूख हड़ताल कर रहीं विदर्भ के किसानों की विधवाओं ने भी आंदोलन की सफलता का स्वागत किया है। अन्ना हजारे के इस अभियान को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने भी अपना समर्थन दिया। फिक्की के मुताबिक, "भ्रष्टाचार भारत की छवि खराब कर रहा है। एक सशक्त लोकपाल देश में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में कारगर साबित होगा।" भ्रष्टाचार के खिलाफ गांधीवादी अन्ना हजारे की सख्त लोकपाल विधेयक की मांग भारत सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने पर सूचना प्रौद्योगिकी के नामी हस्ती कंवल रेखी ने शुक्रवार को इसका स्वागत किया। भारत-अमेरिका उद्यमियों (टीआईई) के संस्थापक रेखी ने कहा, "सरकार के पास अन्ना हजारे की मांग के समक्ष झुकने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं था। यह स्वागतयोग्य कदम है और मैं उम्मीद करता हूं कि यह भारतीय तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने की शुरुआत है।"