नई दिल्ली:
भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ रविवार को दिल्ली में योग गुरु बाबा रामदेव और समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक साथ एक दिन का सांकेतिक अनशन कर आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया मगर एकता दिखाने के प्रयास के बीच मतभेद भी उभर आया।
बाबा रामदेव की नसीहत से आहत टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल अनशन स्थल से चले गए।
केजरीवाल ने अपने भाषण में कई सांसदों के नाम लिए, जिसपर बाबा रामदेव ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी का नाम लिए बिना सरकार पर प्रहार करना था क्योंकि नाम लेने से विवाद उत्पन्न हो जाता है।
जंतर-मंतर पर हजारों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए बाबा रामदेव ने दोहराया कि सरकार विदेशी बैंकों में जमा पैसा वापस देश लाए। उन्होंने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करते हुए कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से भले ही ईमानदार हों, लेकिन अपने मंत्रिमंडल की ईमानदारी भी वह सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वह नौ अगस्त को फिर दिल्ली आएंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक आंदोलन का सूत्रपात्र करेंगे।
वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने संयुक्त अनशन की आलोचना की। सपा के शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि उनके साथ आने से कोई परिणाम सामने नहीं आएगा, जबकि कांग्रेस ने कहा कि इस तरह बार-बार लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला राष्ट्र के लिए अच्छा नहीं है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए बाबा रामदेव ने कहा, "प्रधानमंत्री कहते हैं कि 'मैं ईमानदार हूं', लेकिन देश आपको एक व्यक्ति के रूप में नहीं देखता।" उन्होंने कहा, "देश व्यक्तिगत रूप से आपके ईमानदार होने का सम्मान करता है, लेकिन आपको राजनीतिक रूप से भी ईमानदार होना चाहिए। देश आपको सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के रूप में देखता है। आपकी व्यक्तिगत ईमानदारी काफी नहीं है.. अपने मंत्रिमंडल को भी ईमानदार रखें।"
इसके बाद केजरीवाल ने राजनेताओं पर हमला तेज करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि लोकपाल विधेयक तब तक पारित नहीं हो सकता, जब तक कि संसद में लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव, ए. राजा और सुरेश कलमाडी जैसे सांसद मौजूद हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करते हुए कहा कि वर्ष 2006 से 2009 के बीच जब उनके पास कोयला मंत्रालय का प्रभार था, कोयला ब्लॉकों का आवंटन अंडरवियर बनाने वालों, कैसेट बनाने वालों और गुटका बनाने वालों को किया गया।
केजरीवाल के भाषण समाप्त करने के तुरंत बाद बाबा रामदेव ने इस पर आपत्ति जताई और कहा, "आज हमने सोचा था कि हम किसी का नाम नहीं लेंगे लेकिन अरविंद भाई ने प्रवाह में नाम ले ही लिया। इससे अनावश्यक विवाद पैदा होगा।"
अपने भाषण पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताए जाने के तुरंत बाद केजरीवाल अनशन स्थल से चले गए। बाद में हालांकि उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लिखा कि वह इसलिए चले आए, क्योंकि वह अच्छा नहीं महसूस कर रहे थे।
इस बीच, सपा नेता शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि अन्ना हजारे और रामदेव इसलिए एक-दूसरे के साथ आए, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे के समर्थन की आवश्यकता थी, लेकिन उनके साथ आने का कोई परिणाम सामने नहीं आएगा।
वहीं, कांग्रेस ने भी अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के अनशन की आलोचना की। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री हरीश रावत ने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने के नाम पर कार्यकर्ता लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नाम पर वे सभी संस्थाओं को बर्बाद कर देना चाहते हैं। यह स्वीकार्य नहीं होगा।"
अनशन शुरू करने से पहले बाबा रामदेव व अन्ना हजारे महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट गए। दोनों कुछ देर वहां मौन बैठे और फिर शहीद पार्क गए। इसके बाद दोनों अपने समर्थकों के साथ सुबह करीब 10 बजे जंतर-मंतर पहुंचे।
अपने घनिष्ठ सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ बाबा रामदेव दिल्ली के बाहरी इलाके में टिकरी कलां स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक भी गए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
अनशन स्थल पर राजबाला (51) की तस्वीर भी लगाई गई थी, जो पिछले साल रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन के दौरान उनके समर्थकों के खिलाफ तीन-चार जून की मध्यरात्रि को की गई पुलिस कार्रवाई में बुरी तरह जख्मी हो गई थीं और बाद में उनकी मौत हो गई थी।
बाबा रामदेव की नसीहत से आहत टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल अनशन स्थल से चले गए।
केजरीवाल ने अपने भाषण में कई सांसदों के नाम लिए, जिसपर बाबा रामदेव ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी का नाम लिए बिना सरकार पर प्रहार करना था क्योंकि नाम लेने से विवाद उत्पन्न हो जाता है।
जंतर-मंतर पर हजारों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए बाबा रामदेव ने दोहराया कि सरकार विदेशी बैंकों में जमा पैसा वापस देश लाए। उन्होंने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करते हुए कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से भले ही ईमानदार हों, लेकिन अपने मंत्रिमंडल की ईमानदारी भी वह सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वह नौ अगस्त को फिर दिल्ली आएंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक आंदोलन का सूत्रपात्र करेंगे।
वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने संयुक्त अनशन की आलोचना की। सपा के शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि उनके साथ आने से कोई परिणाम सामने नहीं आएगा, जबकि कांग्रेस ने कहा कि इस तरह बार-बार लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला राष्ट्र के लिए अच्छा नहीं है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए बाबा रामदेव ने कहा, "प्रधानमंत्री कहते हैं कि 'मैं ईमानदार हूं', लेकिन देश आपको एक व्यक्ति के रूप में नहीं देखता।" उन्होंने कहा, "देश व्यक्तिगत रूप से आपके ईमानदार होने का सम्मान करता है, लेकिन आपको राजनीतिक रूप से भी ईमानदार होना चाहिए। देश आपको सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के रूप में देखता है। आपकी व्यक्तिगत ईमानदारी काफी नहीं है.. अपने मंत्रिमंडल को भी ईमानदार रखें।"
इसके बाद केजरीवाल ने राजनेताओं पर हमला तेज करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि लोकपाल विधेयक तब तक पारित नहीं हो सकता, जब तक कि संसद में लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव, ए. राजा और सुरेश कलमाडी जैसे सांसद मौजूद हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करते हुए कहा कि वर्ष 2006 से 2009 के बीच जब उनके पास कोयला मंत्रालय का प्रभार था, कोयला ब्लॉकों का आवंटन अंडरवियर बनाने वालों, कैसेट बनाने वालों और गुटका बनाने वालों को किया गया।
केजरीवाल के भाषण समाप्त करने के तुरंत बाद बाबा रामदेव ने इस पर आपत्ति जताई और कहा, "आज हमने सोचा था कि हम किसी का नाम नहीं लेंगे लेकिन अरविंद भाई ने प्रवाह में नाम ले ही लिया। इससे अनावश्यक विवाद पैदा होगा।"
अपने भाषण पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताए जाने के तुरंत बाद केजरीवाल अनशन स्थल से चले गए। बाद में हालांकि उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लिखा कि वह इसलिए चले आए, क्योंकि वह अच्छा नहीं महसूस कर रहे थे।
इस बीच, सपा नेता शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि अन्ना हजारे और रामदेव इसलिए एक-दूसरे के साथ आए, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे के समर्थन की आवश्यकता थी, लेकिन उनके साथ आने का कोई परिणाम सामने नहीं आएगा।
वहीं, कांग्रेस ने भी अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के अनशन की आलोचना की। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री हरीश रावत ने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने के नाम पर कार्यकर्ता लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नाम पर वे सभी संस्थाओं को बर्बाद कर देना चाहते हैं। यह स्वीकार्य नहीं होगा।"
अनशन शुरू करने से पहले बाबा रामदेव व अन्ना हजारे महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट गए। दोनों कुछ देर वहां मौन बैठे और फिर शहीद पार्क गए। इसके बाद दोनों अपने समर्थकों के साथ सुबह करीब 10 बजे जंतर-मंतर पहुंचे।
अपने घनिष्ठ सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ बाबा रामदेव दिल्ली के बाहरी इलाके में टिकरी कलां स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक भी गए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
अनशन स्थल पर राजबाला (51) की तस्वीर भी लगाई गई थी, जो पिछले साल रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन के दौरान उनके समर्थकों के खिलाफ तीन-चार जून की मध्यरात्रि को की गई पुलिस कार्रवाई में बुरी तरह जख्मी हो गई थीं और बाद में उनकी मौत हो गई थी।
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