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This Article is From Oct 17, 2017

पिता की हुई थी हत्या, बेटी ने जज बनकर किया पिता के सपने को साकार

मुजफ्फरनगर की अंजुम सैफी ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस जे-2016 में पास होकर अपने दिवंगत पिता का सपना साकार किया है.

पिता की हुई थी हत्या, बेटी ने जज बनकर किया पिता के सपने को साकार
अंजुम जब चार साल की थी तब उसके पिता की हत्या हो गई थी
नई दिल्ली: जीवन के मुश्किल दिनों में 4 साल की बच्ची ने एक सपना देखा था, कड़ी मेहनत और लगन से 25 साल बाद वह सपना साकार हो पाया. लड़की के पिता एक साधारण मगर बुलंद इरादों वाले व्यापारी थे. जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाते थे. हफ्ता वसूली करने वाले अपराधियों के ख़िलाफ़ उन्होंने मोर्च खोल रखा था. इस लड़ाई की कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. अपराधियों ने उन्हें गोली मार दी थी. अमूमन ऐसे पिता के बच्चे पुलिस बनाने का सपना देखते हैं पर उस बच्ची ने मां से सुना था कि उसके पिता उसे जज बनाने का सपना देखा करते थे. शायद इस उम्मीद में कि उनकी बेटी किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होने देगी. 

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कोई 25 साल बीत गए उस बच्ची को अपने सपनों को पूरा करने में. अंजुम सैफी आज जज बनाने के दहलीज़ पर खड़ी है. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की जुडिशल सेवा के लिए आयोजित परीक्षा में वह सफल रही. 
 
anjum saifi

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अंजुम सैफी ने बताया कि अपने वालिद के अरमानों को पूरा करने के लिए उसने कड़ी मेहनत की. पिता की मौत के बाद परिवार के सामने घर चलना काफी मुशील हो गया था. बड़े भाई ने कम उम्र में ही नौकरी शुरू कि और बाकि भाई-बहन के लिए सहारा बने. बड़े भाई दिलशाद अहमद बताते हैं कि अंजुम बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी है, लिहाज़ा घर की बाकि जरूरतों को पीछे रख कर उन्होंने बहन की पढ़ाई पर खास ध्यान दिया. जब भी घरवाले शादी की ज़िद करते बड़े भाई अपना फ़र्ज़ निभाते और और सबको समझते कि अंजुम का सपना कुछ और है. 

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अंजुम सैफी ने मुज़फ्फरनगर के एक प्राईवेट स्कूल से पढ़ाई की, फिर सनातन धर्म इंटर कॉलेज से कॉमर्स में इंटरमीडिएट और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की. अंजुम 2013 में भी इस परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंच चुकी थी. इस साल आखिरकर उसे 159 रैंक हासिल हुआ. अब करीब साल भर कि ट्रेनिंग कि बाद उसे जुडिशल सर्विस में काम करने का मौका मिलेगा. अंजुम ख़ासतौर पर देश की बेटियों के लिए काम करना चाहती है. एक अरमान ये भी है कि जो बेटियां आर्थिक रूप से कमजोर हैं वह उनके लिए सहारा बन सके तो यही पिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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