कन्हैया कुमार।
नई दिल्ली:
जेएनयू के छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के मामले को लेकर जिस तरह से अलग-अलग पालिटिकल पार्टियों का समर्थन मिला उसके बाद यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि अध्यक्ष और छात्र जीवन के बाद कन्हैया का राजनीतिक सफर शुरू होगा, लेकिन इस पर विराम एक सवाल के जवाब में लग गया।
संस्थान का भी बचाव किया
कन्हैया ने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि मैं नेता नहीं हूं। आपके सवालों से भागूंगा नहीं। सवाल पूछना आपका अधिकार है और मुझे भी आगे शिक्षक बनना है और जवाब देना है। प्रभावी तरीके से कन्हैया ने अपना भी पक्ष रखा और अपने संस्थान का भी। सवालों के जवाब भी दिए और संस्थान का बचाव भी किया।
एक दफ्तर की सरकार
उन्होंने इशारों-इशारों में यह कहकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया कि देश में एक दफ्तर की सरकार है। उन्हें समझना होगा कि वह देश की जनता की सरकार है। मतभेद व्यक्तिगत नहीं, वैचारिक है। और तो और मतभेद है, मनभेद नहीं। अफजल गुरू के सवाल पर साफ किया कि संविधान में आस्था है और अफजल मेरा आइकान नहीं। मेरा आइकन रोहित वेमुला है। साथ ही 9 फरवरी की जेएनयू की घटना का कड़े शब्दों में निंदा की।
संस्थान का भी बचाव किया
कन्हैया ने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि मैं नेता नहीं हूं। आपके सवालों से भागूंगा नहीं। सवाल पूछना आपका अधिकार है और मुझे भी आगे शिक्षक बनना है और जवाब देना है। प्रभावी तरीके से कन्हैया ने अपना भी पक्ष रखा और अपने संस्थान का भी। सवालों के जवाब भी दिए और संस्थान का बचाव भी किया।
एक दफ्तर की सरकार
उन्होंने इशारों-इशारों में यह कहकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया कि देश में एक दफ्तर की सरकार है। उन्हें समझना होगा कि वह देश की जनता की सरकार है। मतभेद व्यक्तिगत नहीं, वैचारिक है। और तो और मतभेद है, मनभेद नहीं। अफजल गुरू के सवाल पर साफ किया कि संविधान में आस्था है और अफजल मेरा आइकान नहीं। मेरा आइकन रोहित वेमुला है। साथ ही 9 फरवरी की जेएनयू की घटना का कड़े शब्दों में निंदा की।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
कन्हैया कुमार, प्रेस कान्फ्रेंस, छात्र जीवन, राजनीतिक सफर, प्रश्न, जेएनयू, Kanhaiya Kumar, Press Conference, Student Life, Political Career, JNU