
अलीगढ़:
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पिछले हफ्ते दिए अपने उस विवादित आदेश को वापस ले लिया है, जिसके तहत होस्टल में रहने वाली लड़कियों के जीन्स पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी। उक्त आदेश में कहा गया था कि लड़कियों को होस्टर के बाहर और अंदर 'उचित और सभ्य दिखने वाले कपड़े (सलवार कमीज के साथ दुपट्टा) पहनने होंगे।
लड़कियों को अब्दुल्ला हॉल के आदेश में आगे कहा गया था कि लड़कियों को सिर्फ एक मोबाइल का इस्तेमाल करना चाहिए और उन्हें बाहर खान-पान से भी बचना चाहिए। इसके अलावा अपने बाहर आने जाने के बारे में भी गेट के बाहर रखे रजिस्टर में सूचना इंगित करनी होगी।
इतना ही नहीं इस आदेश का पालन न होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत पांच सौ रुपये तक के जुर्माने की चेतावनी दी गई थी।
विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों ने आज इस आदेश का विरोध किया। आएशा मुनिरा ने एनडीटीवी से कहा कि लड़कियों को केवल रविवार को बाहर जाने की छूट थी, जो भी नियम बनें वे लड़के व लड़कियों के लिए समान होने चाहिए। कहा जा रहा है कि लड़कियों के ज्यादा घूमने से लड़कों का मन भटकता है।
महिला महाविद्यालय के प्रशासन ने इस आदेश के बचाव में यह भी तर्क दिया है कि लड़कियों के हॉस्टल में तमाम पुरुष कर्मचारी भी काम करते हैं। वहीं, इतिहास की प्रोफेसर चांदनी बी ने पूछा है कि क्यों नहीं इन पुरुष कर्मचारियों के स्थान पर महिला कर्मचारियों को नियुक्त किया जाता है।
उनका कहना है कि हॉस्टल लड़कियों का घर है, ऐसे में लड़कियां वहां आरामदेह कैसे महसूस करेंगी।
इससे पहले भी एएमयू के वीसी ले. जनरल जमीरुद्दीन शाह ने एक खत जारी कर उनसे मिलने आने वाले लड़कों से शेरवानी पहनकर आने का आदेश दिया था।
लड़कियों को अब्दुल्ला हॉल के आदेश में आगे कहा गया था कि लड़कियों को सिर्फ एक मोबाइल का इस्तेमाल करना चाहिए और उन्हें बाहर खान-पान से भी बचना चाहिए। इसके अलावा अपने बाहर आने जाने के बारे में भी गेट के बाहर रखे रजिस्टर में सूचना इंगित करनी होगी।
इतना ही नहीं इस आदेश का पालन न होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत पांच सौ रुपये तक के जुर्माने की चेतावनी दी गई थी।
विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों ने आज इस आदेश का विरोध किया। आएशा मुनिरा ने एनडीटीवी से कहा कि लड़कियों को केवल रविवार को बाहर जाने की छूट थी, जो भी नियम बनें वे लड़के व लड़कियों के लिए समान होने चाहिए। कहा जा रहा है कि लड़कियों के ज्यादा घूमने से लड़कों का मन भटकता है।
महिला महाविद्यालय के प्रशासन ने इस आदेश के बचाव में यह भी तर्क दिया है कि लड़कियों के हॉस्टल में तमाम पुरुष कर्मचारी भी काम करते हैं। वहीं, इतिहास की प्रोफेसर चांदनी बी ने पूछा है कि क्यों नहीं इन पुरुष कर्मचारियों के स्थान पर महिला कर्मचारियों को नियुक्त किया जाता है।
उनका कहना है कि हॉस्टल लड़कियों का घर है, ऐसे में लड़कियां वहां आरामदेह कैसे महसूस करेंगी।
इससे पहले भी एएमयू के वीसी ले. जनरल जमीरुद्दीन शाह ने एक खत जारी कर उनसे मिलने आने वाले लड़कों से शेरवानी पहनकर आने का आदेश दिया था।
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