शिवसेना नेता संजय राउत ने 'इंदिरा गांधी मुंबई जाकर (अंडरवर्ल्ड डॉन) करीम लाला से मुलाकात किया करती थीं' वाले बयान को वापस ले लिया है. उन्होंने कहा, "कांग्रेस के हमारे मित्रों को बुरा नहीं मानना चाहिए. अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी की छवि धूमिल हुई है, या किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं." बता दें कि पुणे में एक कार्यक्रम में संजय राउत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तब के मुंबई के डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं. हालांकि मीडिया पर बयान आने के बाद संजय राउत ने सफाई दी. उन्होंने कहा करीम लाला पठानों में काफ़ी लोकप्रिय थे. काफी पठान अपनी समस्या को लेकर आते थे करीम लाला से मिलते थे ऐसे में पठानों की समस्या पर इंदिरा गांधी या कोई भी पीएम हो करीम लाला से मिलते थे. राउत ने कहा कि कोई उनके बयान को तोड़-फोड़ कर दिखाता है तो ये उनकी राजनीतिक मजबूरी है. शिवसेना सांसद ने कहा कि उनके मन में इंदिरा, नेहरू और राजीव गांधी के लिए मन में आदर था और हमेशा रहेगा. हालांकि अब संजय राउत ने भले ही बयान को वापस ले लिया हो लेकिन इस पर विवाद खड़ा हो गया है. करीम लाला को मरे लगभग 18 साल हो चुके हैं और अब आज की पीढ़ी में ये जानने की इच्छा बढ़ गई है कि ये करीम लाला आख़िर था कौन?
10 बड़ी बातें
- करीम लाला का जन्म अफगानिस्तान में सन 1911 में हुआ था. 21 साल की उम्र में वो अफगानिस्तान छोड़ भारत मे मुम्बई आ गया और यहां जुए का अड्डा चलाने लगा. उसका असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था धीरे धीरे वो अपराध जगत का बादशाह हो गया और पूरी मुम्बई पर राज करने लगा.
- करीमलाला के रिश्तेदार बताते हैं कि पठान समाज का नेता होने की वजह से खान अब्दुल गफ्फार खान तक उससे मिलने आते थे.
- उसका परिवार दक्षिणी मुंबई के बेहद घनी आबादी वाले मुस्लिम इलाके भिंडी बाज़ार में बस गया था.
- '40 के दशक में मुंबई बंदरगाह पर मामूली मज़दूर के तौर पर काम करने वाला करीम लाला जल्द ही पठानों के गैंग में शामिल हो गया था, जो उस समय तक गुजराती ज़ायदाद मालिकों और व्यापारियों के लिए देनदारों से वसूली का काम किया करता था.
- लेकिन बहुत लम्बे वक्त तक ऐसा नहीं रहा, और जल्द ही करीम लाला पठान गैंग का सरगना बन गया, जो तब तक सुपारी लेकर कत्ल करने से लेकर जबरन घर खाली करवाने, अगवा और जबरन वसूली तक के काम करने लगा था.
- DNA की रिपोर्ट के अनुसार, करीम लाला ने इन धंधों के अलावा गैरकानूनी शराब और सट्टे का धंधा भी बेहद कामयाबी से चलाया, और वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान के साथ समझौता कर इलाके बांट लिए,ताकि एक-दूसरे से टकराव के बिना तीनों गैंग अपने-अपने गैरकानूनी धंधे चलाते रहें.
- दक्षिणी मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाज़ार और मोहम्मद अली रोड जैसे मुस्लिम इलाकों में 'बेखौफ राज' चलाने वाले करीम लाला ने '70 के दशक के अंत में बिगड़ती सेहत को देखकर पठान गैंग और अपना गैरकानूनी कारोबार अपने भतीजे समद खान को सौंप दिया, और अपने कानूनी धंधों में ध्यान देने लगा, जिनमें दो होटल और एक ट्रैवल एजेंसी शामिल थे.
- कहा जाता है कि अपने कामयाबी के दिनों में करीम लाला बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियों को अपनी दावतों और ईद पर आयोजित कार्यक्रमों में बुलाया करता था, और कई हिन्दी फिल्मों में करीम लाला से मिलते-जुलते किरदार भी रखे गए.
- यह भी कहा जाता है कि वर्ष 1973 में आई सुपरहिट फिल्म 'ज़ंजीर' में प्राण द्वारा निभाए गए 'शेर खान' के हावभाव करीम लाला से मिलते-जुलते थे.
- बताया जाता है कि करीम लाला हफ्तावारी 'दरबार' भी लगाता था, जिसमें आकर आम लोग अपनी शिकायतें उसे बताते थे, और वह उनकी वित्तीय मदद करने के अलावा गैंग की ताकत से उनके अटके हुए काम भी सरकारी विभागों से करवा दिया करता था. करीम लाला की मौत 90 साल की उम्र में 19 फरवरी, 2002 को हुई.