गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया है. विधेयक को पेश किये जाने के विरोध में 82 मत पड़े, वहीं समर्थन में 293 मत पड़े. अमित शाह ने कहा कि इस बिल का ड्राफ्ट तैयार करते वक्त इस बात का ख्याल रखा गया है कि संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन न हो. सदन में कई सांसदों ने कहा कि इस बिल के कारण संविधान के कई प्रावधानों का उल्लंघन होगा और इसलिए इसे सदन में पेश करना असंवैधानिक होगा. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस बिल में कुछ नहीं सिर्फ अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है. इस पर अमित शाह ने उन्हें बीच में ही टोकते हुए कहा कि यह बिल .001% भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है.
नागरिकता संशोधन बिल पर अमित शाह के भाषण की 7 बड़ी बातें
आजादी के वक्त अगर कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन न किया होता, तो ये बिल लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती यह हमारी नहीं आपकी थी. अब आपको हमारी बात सुननी पड़ेगी.
बंटवारे के वक्त जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के मोहम्मद लियाकत अली के बीच समझौता हुआ जिसमें कहा गया था कि दोनों देशों में अल्पसंख्यकों को संरक्षण दिया जाएगा. लेकिन अपने देश में इसका पालन हुआ जबकि पाकिस्तान में इसका पालन नहीं हुआ.
इंदिरा गांधी भी बांग्लादेश से आए नागरिकों को मान्यता देने के लिए कानून लाई लेकिन पाकिस्तान से आए नागरिकों के लिए वह भी कुछ नहीं की.ये तो कांग्रेस को पता करना चाहिए इंदिरा गांधी ने भी ऐसा क्यों नहीं किया?
इस बिल का मकसद ऐसे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना है जो दूसरे देशों से प्रताड़ित होकर आए हैं. हम किसी मुस्लिमों से उनका कोई अधिकार नहीं छीन रहे हैं.
लेकिन इन तीनों देश (अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश) का कोई भी मुस्लिम हमारे कानून के आधार पर नागरिकता के लिए आवेदन करता है तो हम इस पर विचार करेंगे.
लेकिन उस शख्स को धार्मिक आधार पर कोई लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि वहां उसके साथ धर्म के आधार पर अत्याचार नहीं होगा.
अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू, सिख, बौद्ध, क्रिश्चियन, पारसी और जैनों के खिलाफ भेदभाव होता है इस बिल के जरिए उनको नागरिकता दी जाएगी. लेकिन यह कहना है कि इससे मुस्लिमों के अधिकार छिन गए हैं यह गलत है.