अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban in Afghanistan) के कब्जे के बाद पाकिस्तान कैसे भारत के खिलाफ काम करने के लिए इस स्थिति का फायदा कैसे उठा सकता है, इस पर चर्चा के लिए दिल्ली में आज बैठक होने जा रही है. इसमें सभी खुफिया एजेंसियां राज्यों की आतंकवाद रोधी इकाइयों के प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं. सरकार में ऐसी चिंताएं हैं कि भारत में पाकिस्तान विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में परेशानी पैदा करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों को आश्रय, प्रशिक्षण, और वित्त पोषण के लिए अफगान की धरती का इस्तेमाल कर सकता है. दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि इस बैठक का उद्देश्य खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान और बेहतर समन्वय को सुनिश्चित करना है. दिल्ली पुलिस गृहमंत्रालय के अधीन आती है. अधिकारी ने कहा कि कट्टरता और भारत को पड़ोसियों ने होने वाले खतरे, इन दो बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी. गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थिति काफी बदल रही है. इन दोनों क्षेत्रों से खतरे की संभावना अधिक है. इसी संभावित खतरों को लेकर बैठक में चर्चा की जाएगी.
अधिकारी ने ये भी कहा कि अमेरिकी सेना अब अफगानिस्तान में मौजूद नहीं है. मित्र राष्ट्रों को खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए नए तरीके खोजने होंगे. गृहमंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, मीटिंग में भाग लेने वाले सभी अधिकारी इन्हीं मुद्दों पर अपनी राय रखेंगे. इस बैठक में भाग लेने वाले अन्य अधिकारी ने कहा कि सूचना के प्रसार में सोशल मीडिया की भूमिका पर भी चर्चा होगी. आईएसआईएस एक वास्तविक खतरा है, इसलिए हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की हम निगरानी करते रहते हैं ताकि ये आतंकी गतिविधियों को चिंगारी न लगा पाएं.
यह पहली बार है जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस तरह की बैठक को बुलाया. पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस तरह की बैठकों की बड़े प्लेटफॉर्म पर मेजबानी करती थी. सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर, मुंबई, केरल, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से आतंकवाद रोधी एजेंसी के प्रमुख बैठक में शामिल होंगे. सीबीआई, रॉ और एएनआई के अधिकारी भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे.
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