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This Article is From Jan 13, 2015

कर्नाटक में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों पर पहले से थी पुलिस की नजर

कर्नाटक में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों पर पहले से थी पुलिस की नजर
संवाददाता सम्मेलन में पुलिस अधिकारी
बेंगलुरु:

राज्यों की पुलिस केंद्रीय खुफिया विभाग से कुछ नाराज़ इसलिए रहती है, क्योंकि खुफिया विभाग की सूचनाएं आमतौर पर किसी सटीक ठिकाने या सटीक दिन और समय को लेकर नहीं होतीं, लेकिन इसके बावजूद केंद्रीय एजेंसियों से मिलने वाले अलर्ट को पुलिस गंभीरता से लेती है।

ऐसे में जब खुफिया विभाग ने पिछले साल दिसंबर के तीसरे हफ्ते में कर्नाटक के आंतरिक सुरक्षा प्रकोष्ठ, यानि इंटरनल सिक्योरिटी डिवीज़न को बेंगलुरू में सक्रिय भटकल के एक आतंकी मॉड्यूल की जानकारी दी तो फौरन यह खबर बड़े अधिकारियों को दी गई। एक बैठक में यह तय किया गया कि इसकी जांच बेंगलुरू पुलिस करेगी, क्योंकि मुख्य आरोपी होम्योपैथिक डॉक्टर अफ़ाक बेंगलुरू में ही रह रहा था।

हमें जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक वर्ष 2014 के दिसंबर में हुई बैठक में यह भी तय किया गया कि इस मॉड्यूल पर कुछ दिन तक नज़र रखी जाएगी, ताकि अदालत में पेश करने के लिए ठोस सबूत इकट्ठे किए जा सकें।

इसके साथ ही यह सोच भी थी कि नए साल को लेकर हमले की जो आशंका खुफिया एजेंसियों ने जताई है, अगर यह मॉड्यूल उसका हिस्सा होगा, तो ये लोग विस्फोटक और अपने दूसरे साथियों और साजोसामान के साथ गिरफ्तार कर लिए जाएंगे, जो पुख्ता सबूत होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और इसी बीच 28 दिसंबर को बेंगलुरू की चर्च स्ट्रीट में धमाका हुआ, जिसमें एक महिला की मौत हो गई।

पुलिस धमाके की जांच में जुट गई, लेकिन चूंकि इस मॉड्यूल पर लगातार नज़र रखी जा रही थी, सो, इसी बुनियाद पर पुलिस ने कहा कि चर्च स्ट्रीट ब्लास्ट में इस मॉड्यूल का हाथ नहीं था।

चर्च स्ट्रीट धमाके से उठा गुबार जब शांत हुआ तो पुलिस ने मॉड्यूल पर छापा मारा। दक्षिण कर्नाटक के भटकल और मंगलौर से एक-एक और बेंगलुरू से दो संदिग्ध पकड़े गए, जो फिलहाल 21 जनवरी तक पुलिस हिरासत में हैं।

बेंगलुरू के पुलिस कमिश्नर एमएन रेड्डी ने साफ किया है कि पुलिस ने ठोस जानकारी और पर्याप्त सबूतों के आधार पर ही इनकी गिरफ्तारी की है।

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