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This Article is From Dec 09, 2018

जिस दोस्त ने सोनिया गांधी तक पहुंचाया था राजीव का 'लव लेटर', वह भारत आने पर क्यों पकड़ा गया ?

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के 72 वें जन्मदिन (Sonia Gandhi S Birthday) पर जानिए राजीव गांधी संग लवस्टोरी से जुड़े रोचक किस्से. जानिए, इटली की बेटी कैसे बनी गांधी खानदान की बहू ?

जिस दोस्त ने सोनिया गांधी तक पहुंचाया था राजीव का 'लव लेटर', वह भारत आने पर क्यों पकड़ा गया ?
पति राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: बात 1965 की है. उन दिनों सोनिया गांधी (Sonia Gandhi ) ब्रिटेन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी की पढ़ाई कर रहीं थीं. राजीव गांधी भी कैंब्रिज पढ़ने गए थे. वह पूर्व राजनयिक टीएन कौल के बेटे दीप कौल  के साथ अपार्टमेट शेयर करते थे. सोनिया गांधी भी एक पेइंग गेस्ट में रहतीं थीं. एक रोज सोनिया गांधी का इटालियन फूड खाने का मन बना तो निकल पड़ीं तलाश में. पहुंचीं सेंट एंड्रयू रोड स्थित एक ग्रीक रेस्टोरेंट. वार्सिटी नामक इस रेस्टोरेंट के मालिक चार्ल्स एंटोनी राजीव गांधी के दोस्त रहे. हर दिन कैंब्रिज के छात्र इस रेस्टोरेंट पर खाने-पीने के लिए जुटते थे और मौज-मस्ती करते थे. उस दिन जिस टाइम सोनिया गांधी रेस्टोरेंट पहुंची थी, उसी समय राजीव गांधी भी लंच करने पहुंचे थे. इस दौरान एक दोस्त ने राजीव गांधी( Rajiv Gandhi) का सोनिया गांधी से परिचय कराया. लव एट फर्स्ट साइट यानी पहली नजर में ही प्यार होने जैसा हाल रहा. राजीव गांधी सोनिया को दिल दे बैठे. उस वक्त सोनिया के साथ उनकी पाकिस्तानी दोस्त ताहिर जहांगीर भी थीं.

जब राजीव ने नैपकिन को ही बना दिया लव लेटर
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई की दिसंबर, 2003 में आई 'सोनिया- ए बॉयोग्राफी' नामक किताब में जहांगीर के हवाले से उस रोज का वाकया कुछ यूं बयान किया गया है, "जैसे ही राजीव गांधी के टेबल के पास से होकर सोनिया गांधी गुजरीं तो अचानक दोस्तों से बातचीत में मशगूल राजीव शांत हो गए...वह ख्यालों में खो उठे. मैने देखा कि राजीव ने तुरंत नैपकिन उठाई और उसी पर पेन से कविता लिखने लगे. पूरे जज्बात उन्होंने नैपकिन पर ही उकेर कर रख दिए. यह कविता सोनिया के प्रति प्रेम की उनकी तीव्र अभिव्यक्ति  रही. फिर राजीव गांधी ने अपने रेस्टोरेंट मालिक दोस्त चार्ल्स से मदद मांगते हुए कहा कि वह एक वाइन की बोतल के साथ कविता लिखी नैपकिन को सोनिया गांधी तक पहुंचा दें."  बस यहीं से राजीव गांधी और सोनिया के प्यार की शुरुआत हुई. पहली नजर में सोनिया को भी राजीव भा गए. हालांकि पहले सोनिया को यह पता नहीं था कि राजीव भारत के सबसे बडे़ राजनीतिक गांधी परिवार से नाता रखते हैं.  नौ दिसंबर 1946 को जन्मी इटली के ओर्बसानो में जन्मीं सोनिया गांधी यूं तो स्पैनिश और रशियन की अच्छी जानकार रहीं और फ्रेंच भी बोलतीं थी. मगर अंग्रेजी सीखने के मकसद से कैंब्रिज में पढ़ाई करने पहुंचीं थीं. पेशे से सैनिक रहे पिता स्टेफिनो मायनो ने पैसे की व्यवस्था कर उन्हें कैंब्रिज अंग्रेजी पढ़ने के लिए भेजा था.

पिता ने शादी के लिए रख दी कठिन शर्त
अपनी किताब में राशिद किदवई लिखते हैं कि कैंब्रिज के दिनों में राजीव और सोनिया गांधी अक्सर फिल्में देखने जाया करते थे. पहली मूवी उन्होंने सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली देखी थी.  राजीव गांधी से गहरी दोस्ती होने के बाद सोनिया ने अपने पिता स्टेफिनो मायनो को उनके बारे में जानकारी दी तो वह खुश नहीं हुए. भले ही सोनिया गांधी के पिता कभी भारत नहीं आए थे, मगर उन्हें यहां के राजनीतिक हालात डराते थे. एक तो राजनीतिक गांधी परिवार और दूर देश में बेटी के रिश्ते को लेकर पिता के मन में तमाम आशंकाएं पनप रहीं थीं. डेटिंग के एक साल बाद ही राजीव गांधी सोनिया के घर पहुंचे गए थे और बिना किसी लाग-लपेट के उन्होंने पिता से सोनिया का हाथ मांग लिया. मगर सोनिया के पिता ने शर्त रखी कि शादी की बात तभी मानेंगे,जब दोनों एक साल तक किसी से नहीं मिलेंगे और इसके बाद भी अगर दोनों को लगेगा कि वह एक दूजे के बिना नहीं रह सकते तभी शादी की अनुमति मिलेगी. एक साल अलग रहना सोनिया और राजीव के लिए काफी मुश्किल था. मगर उन्होंने एक साल का वक्त भी काटा. दूर रहने पर उनके दरमियान प्यार और गहरा हो गया. इसके बाद सोनिया के पिता के पास दोनों के रिश्ते को स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था.

लंदन में पहली बार सोनिया से मिलीं इंदिरा
राजीव गांधी उन दिनों मां इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर सोनिया के बारे में बताया करते. इंदिरा गांधी ने उनसे एक दिन कहा कि वह लंदन में जवाहर लाल नेहरू से जुड़ी प्रदर्शनी में शिरकत करने आएंगी. इस दौरान वह सोनिया से मिलेंगी. लंदन में भारतीय उच्चायुक्त के आवास पर मीटिंग तय हुई. इंदिरा ने उस दिन सोनिया से फ्रेंच में बात की .बकौल सोनिया गांधी, " उन्होंने फ्रेंच में बात की. क्योंकि अंग्रेजी की तुलना में मेरी फ्रेंच धाराप्रवाह रही.वह मेरे बारे में और पढ़ाई के बारे में जानने को उत्सुक थीं. इस दौरान इंदिरा ने उनसे कहा कि वह बिल्कुल भी डरें मत. क्योंकि वह खुद अपनी युवावस्था में प्रेम कर चुकीं हैं.

देखें- दिल्ली में सोनिया और राजीव गांधी की शादी सेरेमनी का वीडियो


भारत आने पर अमिताभ बच्चन के घर ठहरीं सोनिया
 जब इंदिरा गांधी ने जब पसंद कर लिया तो 13 जनवरी 1968 को पहली बार सोनिया  दिल्ली आईं.बतौर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लगा कि बगैर शादी के किसी लड़की को घर में रखने की इजाजत परंपराएं नहीं देतीं. देश के बड़े राजनीतिक परिवार से मामला जुड़ा होने के कारण इंदिरा किसी तरह का सवाल उठने नहीं देना चाहतीं थीं.  वह शादी तक सोनिया को किसी  होटल में ठहराने की सोच रहीं थीं. यह समस्या इंदिरा के करीबी और पूर्व राजनयिक टी एन कौल और पारिवारिक मित्र मोहम्मद युनुस ने चुटकियों में हल कर दी. उन्होंने सुझाव दिया कि क्यों ने सोनिया को तेजी बच्चन(अमिताभ की मां) के दिल्ली वाले घर पर ठहराया जाए. इस प्रकार सोनिया अमिताभ बच्चन के घर पहुंची. भारत मे सोनिया के पहला कोई दोस्त बना तो वह अमिताभ बच्चन रहे. भारत आने के 12 दिन बाद सादे समारोह में अमिताभ बच्चन के घर ही सोनिया और राजीव की सगाई हुई और फिर 25 फरवरी 1968 को  एक, सफदरजंग रोड के बैक लॉन में राजीव और सोनिया गांधी की शादी हुई. उस दिन राजीव गांधी क्रीम सिल्क की पटियाला अचकन और भरतपुरी पगड़ी पहने थे, जबकि सोनिया पिंक कलर की साड़ी पहनीं थीं. मेहमानों के लिए हैदराबाद हाउस में डिनर रखा गया था. फिर, 1970 में राहुल गांधी का जन्म हुआ. 20 जून 1975 को पहली बार सोनिया गांधी ने किसी राजनीतिक कार्यक्रम में भाग लिया. वह दिल्ली में एक लाख की भीड़ की रैली से मुखातिब हुईं थीं.इंदिरा के चुनाव के खिलाफ आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को लेकर यह रैली संजय गांधी ने बुलाई थी.

जब राजीव गांधी का दोस्त एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया 
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. इस दौरान वार्सिटी रेस्टोरेंट के मालिक चार्ल्स एंटोनी ने भारत आकर घूमने का प्लान बनाया. चार्ल्स के रेस्टोरेंट में ही राजीव और सोनिया की पहली मुलाकात हुई थी और चार्ल्स ने प्रेम संदेश पहुंचाने में मदद की थी. चार्ल्स अपने खर्चे पर उड़ान पकड़कर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे. जैसे ही प्लेन से उतरे पकड़ लिए गए. वजह कि उनके पास भारत का वीजा ही नहीं था. एयरपोर्ट एथॉरिटी ने डिटेन कर लिया. अफसरों ने जब बगैर वीजा के भारत में कदम रखने पर पूछा तो चार्ल्स ने हैरानी भरा जवाब दिया, कहा," हमें मालुम ही नहीं था कि गांधी परिवार के दोस्त का भी वीजा लगता है." बहरहाल, चार्ल्स ने एक फोन कॉल करने की अनुमति मांगी तो अफसरों ने फोन करने दिया. संभवतः यह फोन चार्ल्स ने राजीव गांधी को किया तो कुछ ही समय में आधी दर्जन एंबेसडर कारें एयरपोर्ट पर चार्ल्स को रिसीव करने पहुंच गईं. एयरपोर्ट से चार्ल्स सीधे  7 -आरसीआर स्थित प्रधानमंत्री के बंगले में पहुंचे. फिर एक हफ्ते तक देश में आगरा सहित कई स्थानों पर घूमे-टहले. पत्रकार राशिद किदवई की किताब सोनिया- ए बॉयोग्राफी में ऐसे कई रोचक किस्से दर्ज हैं. 

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