(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
मंगलवार को देश के 11 राज्यों में कैश संकट के बाद बुधवार को वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वो गुरूवार तक सभी ATMs में उनकी क्षमता का 80% कैश जमा कर दे. बुधवार को कैश संकट का दायरा कुछ कम हुआ लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण इलाकों से अब भी कैश की कमी की खबर आ रही है. मंगलवार के मुकाबले अलग-अलग शहरों में बुधवार को ATMs में कैश की कमी की शिकायतें कम आईं. हालांकि उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ ग्रामीण इलाकों में अब भी कैश की किल्लत है. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन के संयुक्त महासचिव, रबिन्द्र गुप्ता ने एनडीटीवी से कहा, 'आज ज़्यादा पैनिक की खबर नहीं आई है. हालात में कुछ सुधार हुआ है'.
बुधवार को बैंकिंग सचिव ने बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा 16 अप्रैल को पूरे देश में बैंकिंग व्यवस्था में जितना पैसा जमा किया गया उससे 6000 करोड़ ज़्यादा निकाला गया. उस दिन आांध्र प्रदेश में पैसा जमा करने के मुकाबले निकालने में 120% और तेलंगाना में 130% ज़्यादा बढ़त दर्ज हुई. आंध प्रदेश मुख्यमंत्री के बेटे लोकेश नारा ने ट्वीट किया कि उनकी सरकार मनरेगा के वर्करों को पेयमेन्ट और पेंशनधारियों को पेंशन नहीं दे पा रही है.
यह भी पढ़ें : कैश है सदा के लिए, नोटबंदी के पहले और बाद कैशलेस लेनदेन में क्या पड़ा असर
एक तरफ सरकार कह रही है कि नोटों की कमी नहीं, वहीं दूसरी तरफ देवास प्रिंटिंग प्रेस में ज़्यादा नोटों की प्रिंटिंग शुरू की गयी है. लेकिन एक बात जो साफ नहीं हो पा रही है वो है कि पिछले कुछ महीनों में अचानक और असामान्य बढ़त' क्यों हुई. SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तीय साल की दूसरी तिमाही में ATM से निकासी में 12% बढ़त दर्ज हुई लेकिन ऐसा क्यों हुआ ये साफ नहीं है.
VIDEO : क्या जमा से ज्यादा निकासी से हुआ कैश संकट?
फ़िलहाल कैश की कमी 70,000 करोड़ या उससे कुछ कम. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन के संयुक्त महासचिव, रबिन्द गुप्ता कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद व्यवस्था में कैश करेन्सी बढ़ी है फिर ये चिंता का विषय है कि कैश कहा है?' कैश के इस संकट से निपटने के लिए ATMs तक ज़्यादा पैसा पहुंचाया जा रहा है और आरबीआई भी ज़्यादा नोट प्रिंट कर रही है लेकिन इस सबके बीच ये सवाल महत्वपूर्ण बना हुआ है कि यह संकट क्यों खड़ा हुआ? क्या ये आर्थिक प्रबंधन की लापरवाही से जुड़ा मामला तो नहीं था?
बुधवार को बैंकिंग सचिव ने बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा 16 अप्रैल को पूरे देश में बैंकिंग व्यवस्था में जितना पैसा जमा किया गया उससे 6000 करोड़ ज़्यादा निकाला गया. उस दिन आांध्र प्रदेश में पैसा जमा करने के मुकाबले निकालने में 120% और तेलंगाना में 130% ज़्यादा बढ़त दर्ज हुई. आंध प्रदेश मुख्यमंत्री के बेटे लोकेश नारा ने ट्वीट किया कि उनकी सरकार मनरेगा के वर्करों को पेयमेन्ट और पेंशनधारियों को पेंशन नहीं दे पा रही है.
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एक तरफ सरकार कह रही है कि नोटों की कमी नहीं, वहीं दूसरी तरफ देवास प्रिंटिंग प्रेस में ज़्यादा नोटों की प्रिंटिंग शुरू की गयी है. लेकिन एक बात जो साफ नहीं हो पा रही है वो है कि पिछले कुछ महीनों में अचानक और असामान्य बढ़त' क्यों हुई. SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तीय साल की दूसरी तिमाही में ATM से निकासी में 12% बढ़त दर्ज हुई लेकिन ऐसा क्यों हुआ ये साफ नहीं है.
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फ़िलहाल कैश की कमी 70,000 करोड़ या उससे कुछ कम. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन के संयुक्त महासचिव, रबिन्द गुप्ता कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद व्यवस्था में कैश करेन्सी बढ़ी है फिर ये चिंता का विषय है कि कैश कहा है?' कैश के इस संकट से निपटने के लिए ATMs तक ज़्यादा पैसा पहुंचाया जा रहा है और आरबीआई भी ज़्यादा नोट प्रिंट कर रही है लेकिन इस सबके बीच ये सवाल महत्वपूर्ण बना हुआ है कि यह संकट क्यों खड़ा हुआ? क्या ये आर्थिक प्रबंधन की लापरवाही से जुड़ा मामला तो नहीं था?
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