बेंगलुरू के केम्पेगौड़ा एयरपोर्ट के ऊपर हवाई क्षेत्र पर बारीकी से निगाह जमाए राडार कंट्रोलर लोकेंद्र सिंह की सजगता से दो इंडिगो विमानों पर सवार सैकड़ों लोगों की जान बच गई. ये दोनों विमान 7 जनवरी को उड़ान भरने के तुरंत बाद हवा में टकराते-टकराते बचे थे. इंडियो की फ्लाइट 6E 455 बेंगलुरु से कोलकाता और 6E 246 बेंगलुरु से भुबनेश्वर (दोनों एयरबस A320 का प्रकार) ने एक ही दिशा में एक साथ उड़ान भरी थी, इस दौरान ये खतरनाक ढंग से एक-दूसरे के बेहद करीब आ गई थीं.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया है, ' राडार कंट्रोलर ने विमान को अलग दिशा दी और हवा में टकराव को टाल दिया. ' जब यह घटना हुई तो दोनों विमान करीब 3000 फीट की ऊंचाई पर थे. रिपोर्ट की प्रति NDTV के पास है. बेंगलुरू एयरपोर्ट में दो रनवे हैं-नॉर्थ और साउथ. उस दिन पहले दोनों रनवे इस्तेमाल किए जा रहे थे.नॉर्थ रनवे प्रस्थान के लिए और साउथ रनवे आगमन के लिए. यह इस एयरपोर्ट पर लैंडिंग और प्रस्थान करने वालों विमानों को अलग करने के लिहाज से मानक प्रक्रिया है. '
लेकिन 7 जनवरी की सुबह अहम गलतियां की गईं. शिफ्ट इंचार्ज ने एक रनवे-नार्थ रनवे को आगमन और प्रस्थान के लिए उपयोग में लेने का फैसला किया. डीजीसीए ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में कहा है, 'साउथ रनवे बंद था लेकिन इसकी जानकारी साउथ टावर कंट्रोलर को नहीं दी गई.ऐसे में साउथ टावर रनवे के एयर ट्रैफिक कंट्रोलर नेफ्लाइट 6E 455 को प्रस्थान की इजाजत दी थी, ठीक इसी समय नॉर्थ टावर कंट्रोलर ने समन्वय के बिना भुबनेश्वर जाने वाली फ्लाइट 6E 246 को प्रस्थान की अनुमति दी. 'डीजीसीए की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि हवा में टकराव का एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों की लॉगबुक में उल्लेख नहीं था और इसे एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी AAI द्वारा भी इसे रिपोर्ट नहीं किया गया. यह उन खामियों का हिस्सा हैं जिन पर ध्यान दिया जा रहा है. बेंगलुरू-कोलकाता फ्लाइट में 176 यात्री और छह क्रू मेंबर थे जबकि बेंगलुरू-भुबनेश्वर फ्लाइट में 238 यात्री और छह क्रू मेंबर थे. कुल मिलाकर दोनों विमानों में 426 यात्री थे.
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