ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा, 'प्रधानमंत्री को शाह बानो याद है. क्या उन्हें तबरेज़ अंसारी, अख़लाक और पहलू खान याद नहीं? क्या उन्हें याद नहीं कि उनके मंत्री ने अलीमुद्दीन अंसारी के हत्यारों को हार पहनाए थे? अगर कोई 'नाली' वाली टिप्पणी कर रहा है, तो आप मुस्लिमों को आरक्षण क्यों नहीं दे देते? आपकी पार्टी से कोई भी मुस्लिम सांसद नहीं आता. उन्हें कौन पीछे रखे हुए है? आप, उनकी बातों और विचारों में अंतर है. बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए नरसिम्हा राव ज़िम्मेदार थे, वह प्रधानमंत्री होते हुए भी कुछ नहीं कर सके. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जो अपनी विचारधारा पर काम करना चाहते हैं.'
A Owaisi: No Muslim MP from your party comes. Who is keeping them behind? You. There's a difference b/wtheir words&ideology. Narasimha Rao was responsible for Babri Masjid demolition, despite being PM he couldn't do anything. Now there's PM Modi who wants to work on his ideology.
— ANI (@ANI) June 26, 2019
बता दें, विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने शुक्रवार को तीन तलाक पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और भारतीय दंड संहिता के तहत इस प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक पेश किया. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह मुस्लिम परिवारों को नुकसान पहुंचाएगा और यह विधेयक भेदभावपूर्ण है. केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जैसे ही तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश किया, विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि राजनीतिक दलों के सभी सांसदों को शामिल करने के लिए इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए.
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186 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, वहीं 74 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे पेश करते हुए कहा कि लोगों ने सरकार को कानून बनाने के लिए चुना और ऐसा करना उनका कर्तव्य है. उन्होंने यह भी कहा कि सांसदों को न्यायाधीश नहीं बनना चाहिए. प्रसाद ने कहा, 'यह कानून तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए है.. जानकारी के अनुसार, 2017 के बाद तीन तालक के कुल 543 मामले प्रकाश में आए. उनमें से 229 सर्वोच्च न्यायालय के फैसले (प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने) के बाद सामने आए और इस मुद्दे पर अध्यादेश जारी होने के बाद केवल 31 मामले सामने आए हैं.'
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मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे पेश किए जाने के दौरान मत विभाजन की मांग की. ओवैसी ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ता है, तो उसे एक साल की जेल का प्रावधान है. उन्होंने जानना चाहा कि ऐसा प्रावधान क्यों किया जा रहा है कि मुस्लिम पुरुषों को इसी अपराध में तीन साल की सजा मिलेगी. उन्होंने कहा कि वह इसकी वजह जानना चाहते हैं.
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साथ ही उन्होंने कहा, 'विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और 15 (धर्म, जाति, नस्ल, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के खिलाफ) का उल्लंघन करता है. शीर्ष अदालत ने तत्काल तीन तालक को शून्य घोषित किया है, जिसका अर्थ है कि इस तरह के ऐलान से शादी खत्म नहीं होती है. महिला के पति को तत्काल तीन तालक का उच्चारण करने के लिए तीन साल तक जेल में रहना होगा. इससे महिला पर बोझ पड़ेगा.'
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