केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने शनिवार को एक बार फिर कृषि कानून (Farm law 2020) की आलोचना करने को लेकर विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा ऐसा लग रहा है कि जो लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं वो इसके बारे में बारिकी से जानकारी नहीं जुटा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों (Modi Government) के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. हम संशोधन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन आप इसे त्रुटिपूर्ण न कहें, क्योंकि कोई भी इस बारे में सकारात्मक जवाब देने की स्थिति में नहीं है कि इस कानून में कमी क्या है. बता दें कि कृषि कानून के खिलाफ आंदोलनरत किसानों संग बातचीत में केंद्रीय मंत्री तोमर ने ही सरकार का नेतृत्व किया है. जोकि पिछले तीन महीनों से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के साथ बैठे हैं. शनिवार को इन किसानों ने आंदोलन के 100 दिन पूरे होने के मौके पर राजधानी के पास एक प्रमुख रास्ते को बंद किया था.
Read Also: विपक्ष क्या किसानों का अहित करके सियासी मंसूबे पूरे करेगा,कृषि मंत्री ने पूछे ये अहम सवाल...
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बातचीत के दौरान, मैंने संशोधनों की संभावनाओं के बारे में बात की, लेकिन मैंने यह भी कहा कि संशोधन प्रस्तावों का मतलब यह नहीं है कि कानून में कमिया हैं. उन्होंने कहा कि यह संशोधन का प्रस्ताव सिर्फ इसलिए रखा जा रहा है कि क्योंकि इसके विरोध करने वालों में प्रमुख चेहरा किसान का है. विपक्ष पर इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए नरेंद्र तोमर ने कहा कि संसद में भी हमने केंद्र के दृष्टिकोण को सबके सामने रखा, घंटो तक हमने दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं को सुना, राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद भी विपक्ष के नेताओं ने किसानों के प्रदर्शन पर ही बात की. कानून को लेकर कोई बात नहीं की.
Read Also: '5 राज्यों में जाकर बीजेपी को हराएंगे', दिल्ली के पास हाई-वे जाम कर बोले आंदोलनकारी किसान
उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखी करता है कि विपक्ष के नेता हर बार सिर्फ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर ही बात कर रहे हैं. किसान कानून की कमियों के बारे में वो कोई चर्चा नहीं करते, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर कोई राजनीति करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन क्या इसे किसानों के हित और देश की अर्थव्यवस्था को दांव पर लगाकर करना चाहिए. बकौल तोमर, जब भी कोई बदलाव लाया जाता है तो उसे लागू करना मुश्किल होता है. कुछ लोग इसका विरोध करते हैं, कुछ लोग मजाक भी बनाते हैं. लेकिन अगर बदलाव के पीछे नियत और मंशा ठीक हो तो लोग उसे स्वीकार कर ही लेते हैं.
Read Also: किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे, KMP एक्सप्रेसवे पर 5 घंटे की नाकेबंदी- जानें, 10 अहम बातें
किसानों का गतिरोध एक चुनावी मुद्दा बन चुका है, अगले कुछ हफ्तों में चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में जनता अगली सरकार का चुनाव करेगी. इन चुनावों में कांग्रेस के राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेता सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे किसानों का मानना है कि तीनों नए कानून लागू होने के बाद किसान कॉरपोरेट्स के हाथ की कठपुतली बन जाएगा. वह उनकी दया पर निर्भर हो जाएगा. वहीं कृषि मंत्री का कहना है कि नए कानूनों के बाद किसानों के हालात में सुधार आएगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं