भुवनेश्वर:
अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का बंगाल की खाड़ी से सटे ओडिशा तट के पास व्हीलर द्वीप पर एकीकृत परीक्षण क्षेत्र से सुबह 08:05 पर सफल परीक्षण किया गया। परमाणु अस्त्र ले जाने में सक्षम इस मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर तक है, जिससे अब अमेरिका के अतिरिक्त सभी महाद्वीप हमारी जद में आ गए हैं।
ऐसी कई खूबियां हैं, जो अग्नि-5 को अन्य मिसाइलों से अलग और अहम बनाती है। अग्नि-5 की पहचान इसकी ताकत है, जो किसी भी जंग के दौरान बाजी पलटने की कूवत रखती है। पांच हजार किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार करने की क्षमता रखने वाली इस मिसाइल का वजन 50 टन है और इसे सड़क किनारे किसी मोबाइल लॉन्चर से भी छोड़ा जा सकता है। हालांकि इसके लिए खास तरह के कनस्तर भी बनाए गए हैं।
अग्नि-5 तीन स्टेज में काम करता है। तीसरे और आखिरी स्टेज में यह मिसाइल 800 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचकर बुलेट से भी तेज रफ्तार में नीचे अपने निशाने की तरफ आती है। अग्नि-5 अपने साथ एक टन का परमाणु अस्त्र ले जाने में सक्षम है।
दुनिया में अभी तक केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के पास आईसीबीएम को संचालित करने की क्षमता है। डीआरडीओ की अगले एक वर्ष में इस मिसाइल के और परीक्षण करने की योजना है। अग्नि 5 मिसाइल का पहला परीक्षण व्हीलर द्वीप में रात्रि आठ बजे होना था, लेकिन खराब मौसम और सुरक्षा कारणों से परीक्षण को टाल दिया गया था।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख वी के सारस्वत ने हाल में कहा था कि परीक्षण के लिए मिसाइल का एकीकरण विभिन्न केंद्रों में किया जा रहा है। परीक्षण के दौरान विभिन्न सैन्य और अन्य एजेंसियों के वे अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने इसके विकास में भूमिका निभाई है। ये परीक्षण पिछले परीक्षणों में हासिल किए गए मानकों के अध्ययन और विश्लेषण के आधार पर किए जाएंगे।
अग्नि-5 को पूरी तरह से विकसित करने की समयसीमा के बारे में सारस्वत ने कहा कि परीक्षण में और एक साल लगेगा। पिछले साल नवंबर में डीआरडीओ ने भारतीय प्रतिरोधक क्षमता को नई ताकत प्रदान करते हुए 3500 किमी मारक क्षमता वाली अग्नि-4 मिसाइल का परीक्षण किया था। अग्नि-5 तीन स्तरीय, पूरी तरह से ठोस ईंधन पर आधारित तथा 17 मीटर लंबी मिसाइल है, जो विभिन्न तरह के उपकरणों को ले जाने में सक्षम है।
(इनपुट भाषा से भी)
ऐसी कई खूबियां हैं, जो अग्नि-5 को अन्य मिसाइलों से अलग और अहम बनाती है। अग्नि-5 की पहचान इसकी ताकत है, जो किसी भी जंग के दौरान बाजी पलटने की कूवत रखती है। पांच हजार किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार करने की क्षमता रखने वाली इस मिसाइल का वजन 50 टन है और इसे सड़क किनारे किसी मोबाइल लॉन्चर से भी छोड़ा जा सकता है। हालांकि इसके लिए खास तरह के कनस्तर भी बनाए गए हैं।
अग्नि-5 तीन स्टेज में काम करता है। तीसरे और आखिरी स्टेज में यह मिसाइल 800 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचकर बुलेट से भी तेज रफ्तार में नीचे अपने निशाने की तरफ आती है। अग्नि-5 अपने साथ एक टन का परमाणु अस्त्र ले जाने में सक्षम है।
दुनिया में अभी तक केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के पास आईसीबीएम को संचालित करने की क्षमता है। डीआरडीओ की अगले एक वर्ष में इस मिसाइल के और परीक्षण करने की योजना है। अग्नि 5 मिसाइल का पहला परीक्षण व्हीलर द्वीप में रात्रि आठ बजे होना था, लेकिन खराब मौसम और सुरक्षा कारणों से परीक्षण को टाल दिया गया था।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख वी के सारस्वत ने हाल में कहा था कि परीक्षण के लिए मिसाइल का एकीकरण विभिन्न केंद्रों में किया जा रहा है। परीक्षण के दौरान विभिन्न सैन्य और अन्य एजेंसियों के वे अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने इसके विकास में भूमिका निभाई है। ये परीक्षण पिछले परीक्षणों में हासिल किए गए मानकों के अध्ययन और विश्लेषण के आधार पर किए जाएंगे।
अग्नि-5 को पूरी तरह से विकसित करने की समयसीमा के बारे में सारस्वत ने कहा कि परीक्षण में और एक साल लगेगा। पिछले साल नवंबर में डीआरडीओ ने भारतीय प्रतिरोधक क्षमता को नई ताकत प्रदान करते हुए 3500 किमी मारक क्षमता वाली अग्नि-4 मिसाइल का परीक्षण किया था। अग्नि-5 तीन स्तरीय, पूरी तरह से ठोस ईंधन पर आधारित तथा 17 मीटर लंबी मिसाइल है, जो विभिन्न तरह के उपकरणों को ले जाने में सक्षम है।
(इनपुट भाषा से भी)
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