राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भी पार्टी अनिर्णय की स्थिति में है. कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर अटकलों का दौर जारी है. हालांकि इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह (Karan Singh) ने पार्टी को चिट्ठी लिखकर कुछ सुझाव दिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह (Karan Singh) ने पत्र लिखकर कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में CWC बुलाकर जल्द फैसला ले साथ ही एक अध्यक्ष और चार संभागों के लिए उपाध्यक्ष बनाया जाए. उन्होंने NDTV से बात करते हुए कहा कि अब तक राय नहीं मांगी तो मैंने खुद ही दे दी. पार्टी में ये यथास्थिति नहीं बनी रहनी चाहिए. कांग्रेस का मज़बूत रहना लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है.
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कर्ण सिंह ने कहा कि राहुल के इस्तीफा देने के 6 हफ्तों के बाद भी कांग्रेस अनिर्णय की स्थिति में है. राहुल ने जो बात की है, वे समझदार हैं, लेकिन पार्टी एक महीने उनके पीछे पड़ी रही कि पुनर्विचार करो. हम समय नष्ट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी ने मेरी राय नहीं मांगी, मैंने स्वंय अपनी राय दी है. पार्टी कोई निर्णय नहीं ले पा रही है तो मैंने यह सुझाया है.
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उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह 10 साल प्रधानमंत्री रहे हैं, वे वरिष्ठ नेता हैं. उनके नेतृत्व में मीटिंग बुलाओ एक अंतरिम अध्यक्ष चुनो और चार कार्यकारी अध्यक्ष चुने जाएं. चारों दिशाओं से आगे बढ़ना चाहिए. यथास्थिति टूटनी चाहिए. आगे बढ़ना न सिर्फ पार्टी के लिए, बल्कि देश के हित में भी होगा क्योंकि सशक्त विपक्ष देश की जरूरत है.
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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक की थी. इस बैठक से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नदारद रहे थे. बता दें कि राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले ही पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नए अध्यक्ष के रूप में किसी और का चुनाव करने की बात कही थी.राहुल गांधी इस बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि उन्होंने पहले ही कहा था कि वह नहीं चाहते कि नए अध्यक्ष का चुनाव करने में उनकी कोई भूमिका हो. खास बात यह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की यह बैठक उस वक्त हो रही है जब कर्नाटक में गठबंधन की सरकार को गिराने की हर संभव कोशिशें की जा रही हैं.
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद एक ओपन लेटर भी जारी किया था. इस ओपन लेटर में राहुल गांधी ने लिखा था कि कांग्रेस पार्टी के लिए काम करना मेरे लिए सम्मान की बात थी'. उन्होंने पत्र में 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली हार का जिक्र करते हुए लिखा 'अध्यक्ष के नाते हार के लिए मैं जिम्मेदार हूं. इसलिये अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं'. उन्होंने आगे लिखा था कि पार्टी को जहां भी मेरी जरूरत पड़ेगी मैं मौजूद रहूंगा. बता दें कि बुधवार को राहुल गांधी ने कहा था कि एक महीने पहले ही नए अध्यक्ष का चुनाव हो जाना चाहिए था. राहुल गांधी ने कहा था कि बिना देर किए हुए नए अध्यक्ष का चुनाव जल्द हो. मैं इस प्रक्रिया में कहीं नहीं हूं. मैंने पहले ही अपना इस्तीफा सौंप दिया है और मैं अब पार्टी अध्यक्ष नहीं हूं. सीडब्ल्यूसी को जल्द से जल्द बैठक बुलाकर फैसला करना चाहिए.
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वहीं कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया था कि पार्टी के नए अध्यक्ष का फैसला एक सप्ताह में हो जाएगा. बता दें, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी. उसके बाद से कांग्रेस नेता उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाते रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी हमेशा कहते रहे हैं कि वह अपना मन नहीं बदलेंगे. गौरतलब है कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को ही पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के दौरान सभी मुख्यमंत्रियों ने उनसे पार्टी के अध्यक्ष (Rahul Gandhi) के तौर पर बने रहने का आग्रह भी किया थी. बैठक के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत मे कहा था कि हमने राहुल जी से आग्रह किया कि वह अध्यक्ष (Rahul Gandhi) पद पर बने रहें.
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उन्होंने हमें धैर्यपूर्वक सुना. हम आशा करते हैं कि वह हमारे आग्रह को स्वीकार करेंगे. इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने हिस्सा लिया था. वहीं इससे पहले कांग्रेसी नेता एम वीरप्पा मोइली ने कहा था कि राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने की एक प्रतिशत भी संभावना नहीं है. मोइली ने कहा था कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) इस मामले पर गौर करेगी. पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा था कि कुछ भी हो सकता है.' मोइली कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विधि एवं न्याय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कारपोरेट मामलों के मंत्रालयों की जिम्मेदार संभाल चुके हैं.
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