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This Article is From Apr 20, 2015

बेमौसम बरसात के बाद अनाज मंडी में छला जा रहा है किसान

बेमौसम बरसात के बाद अनाज मंडी में छला जा रहा है किसान
चंडीगढ़: अनाज मंडियों में सरकार कि तरफ से इंतज़ाम मुक्कमल करने के तमाम दावों को झटका लगा है। बेमौसम बरसात की मार से किसान अभी पूरी तरह उबरे भी नहीं कि अब उन्हें अनाज बेचने के लिए धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार से मिली छूट पर अमल नहीं हो रहा।

पक्ष हो या विपक्ष, सबकी जुबां पर किसान का दर्द और उसके हक़ की बात है, उसका पैरोकार दिखने की होड़ मची है। रविवार को राहुल गांधी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में किसानों का दर्द साझा किया। उन्होंने कहा कि किसान का अनाज मंडियों में पड़ा है, उन्हें रोज-रोज गुमराह किया जा रहा है।

इसके बाद केंद्र सरकार में पंजाब से मंत्री और बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर बादल का बयान आया। उन्होंने न सिर्फ मोदी सरकार की तारीफ की बल्कि ये भी कहा कि मौसम के कारण जो फसल बर्बाद हुई है पहली बार मुआवज़ा बढ़ाया गया है, 33 फ़ीसदी खराबी पर भी मुआवज़ा मिलेगा, हमने ये वादा किया है कि जिस हालत में भी दाने होंगे सारे अनाज कि खरीद होगी।

वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बयान जारी कर किसानों को भरोसा दिलाया कि उनके खून पसीने की मेहनत से उत्पादित गेहूं के एक-एक दाने की खरीद की जाएगी और जो गेहूं अब तक खरीदी जा चुकी है उस पर भी वैल्यू कट नहीं लगेगा।

लेकिन शीर्ष नेताओं के ये बयान किसान की दिक्कत दूर करने के लिए नाकाफी साबित हुए। जींद में किसानों को ठगा जा रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 1450 रुपये में 400 रुपये की कटौती से नाराज़ किसानों ने उचाना मंडी पर ताला जड़ दिया और जींद-नरवाना राजमार्ग जाम कर दिया।

एक गुस्साए किसान ने बताया, 'नमी में काट के लिए कोई आढ़ती मना नहीं कर रहा, 12 से ऊपर 2-3 परसेंट के लिए भी तैयार है, लेकिन जो गेहूं बारिश की वजह से सफ़ेद पड़ गया है उसको लस्टर कट माना जा रहा है जबकि वह गेहूं डैमेज भी नहीं है। किसानों को लूटा जा रहा है।'

पंजाब में भी मुश्किलें कम नहीं। ज़्यादा मेहनताना कि मांग को लेकर ट्रांसपोर्ट यूनियन और पल्लेदारों की हड़ताल ने पंजाब में हालात बदतर बना दिए हैं। किसानों को सड़क पर धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है। पिछले 2 दिन से अपना अनाज मोहाली कि खरड़ मंडी में लेकर बोली का इंतज़ार कर रहे एक किसान ने बताया कि उसे 3 दिन भी लग सकते हैं, रोज़ बोली टाल देते हैं, कल फिर आना पड़ेगा, ज़मींदार को डबल लेबर पड़ जा रही है, आज बोली होगी या कल होगी, उसमें फिर लेबर लगेगी, ज़मींदार का घाटा है, सरकार का कोई घाटा नहीं है।

केंद्र सरकार ने अनाज में 14 फीसदी नमी, 6 फीसदी टूट-फूट और 2 फीसदी तक चमक में कमी को मंजूरी दी है। लेकिन खरीद एजेंसियों के इंस्पेक्टर पुराने नियम पर चल रहे हैं।

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